घर खरीदारों के हितों को लेकर चिंतित शीर्ष अदालत का आदर्श बिल्डर-खरीदार समझौते पर जोर

Edited By Updated: 17 Jan, 2022 08:48 PM

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नयी दिल्ली, 17 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने एक बार फिर मध्यम वर्ग के घर खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए आदर्श बिल्डर-खरीदार समझौते की जरूरत पर सोमवार को जोर देते हुए केंद्र से रेरा प्रावधानों के तहत एकसमान नियम बनाने पर विचार करने को कहा।

नयी दिल्ली, 17 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने एक बार फिर मध्यम वर्ग के घर खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए आदर्श बिल्डर-खरीदार समझौते की जरूरत पर सोमवार को जोर देते हुए केंद्र से रेरा प्रावधानों के तहत एकसमान नियम बनाने पर विचार करने को कहा।

शीर्ष अदालत ने कहा कि केंद्र को इसे राज्यों पर छोड़ने के बजाय आदर्श बिल्डर-खरीदार समझौता और आदर्श एजेंट-खरीदार समझौता तैयार करना चाहिए जिसे पूरे देश में लागू किया जाए।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा, ‘‘हम मध्यम वर्ग के घर खरीदारों के व्यापक हित के बारे में चिंतित हैं।’’ पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस मुद्दे पर विचार करने के लिए कहा।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘मौजूदा जनहित याचिका का उद्देश्य यह है कि एक आदर्श बिल्डर-खरीदार समझौता होना चाहिए जो केंद्रीय सलाहकार परिषद द्वारा तैयार किया जाए ताकि मूल नियमों और शर्तों में कुछ एकरूपता हो और फ्लैट खरीदारों का शोषण नहीं हो।’’
न्यायालय ने इसे महत्वपूर्ण मामला बताते हुए कहा कि पिछले साल अक्टूबर में भी उसने इस ओर इशारा किया था कि एक आदर्श बिल्डर-खरीदार समझौते की जरूरत है।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘हम इसे लेकर बहुत उत्सुक हैं। इसे अलग-अलग राज्यों पर छोड़ने के बजाय हम चाहते हैं कि केंद्र एकसमान बिल्डर-खरीदार समझौता तैयार करे जो सभी राज्यों में लागू हो।
पीठ ने कहा, ‘‘केंद्र इस बात पर विचार कर सकता है कि केंद्रीय सलाहकार समिति एक आदर्श बिल्डर-खरीदार समझौते को तैयार करने के लिए अपने अधिकारों का उपयोग करे। हलफनामे में जो कुछ भी कहा गया है उस पर पुनर्विचार किया जा सकता है।’’ पीठ ने कहा कि वर्तमान में बिल्डर अपनी मर्जी से शर्तें खरीद समझौते में डाल रहे हैं। इस पर मेहता ने पीठ से सहमति जताते हुए कहा कि समझौता एकतरफा नहीं हो सकता है। उन्होंने न्यायालय को इस मुद्दे पर विचार का भरोसा दिलाया।
याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि केंद्र ने एक हलफनामा दाखिल किया है जिसके मुताबिक क़ानून के हिसाब से इसमें केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है।




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