जामिया हिंसा की जांच स्थानांतरित करने संबंधी याचिका पर जवाब देने के लिए केंद्र को "आखिरी मौका" मिला

Edited By PTI News Agency,Updated: 29 Nov, 2022 07:58 PM

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नयी दिल्ली, 29 नवंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों के बाद दिसंबर, 2019 में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में हिंसा को लेकर छात्रों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी दिल्ली पुलिस से किसी...

नयी दिल्ली, 29 नवंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों के बाद दिसंबर, 2019 में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में हिंसा को लेकर छात्रों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी दिल्ली पुलिस से किसी स्वतंत्र एजेंसी को स्थानांतरित करने के अनुरोध वाली याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए मंगलवार को केंद्र को "आखिरी मौका’’ दिया।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी किया और एक याचिकाकर्ता की संशोधन याचिका पर एक सप्ताह के अंदर अपना जवाब दाखिल करने को कहा। याचिकाकर्ता ने विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई पुलिस की कथित सख्ती की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की भी मांग की है।

पीठ ने विभिन्न याचिकाओं को आगे की सुनवाई के लिए 13 दिसंबर को सूचीबद्ध किया। याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा छात्रों के खिलाफ ‘अत्यधिक’ बल प्रयोग किया गया था।

अदालत ने कहा, "प्रतिवादी की ओर से पेश अधिवक्ता रजत नायर ने अनुरोध किया है और उन्हें याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए आखिाी मौका के रूप में एक सप्ताह का समय दिया जाता है। याचिकाकर्ता द्वारा प्रतिवाद, यदि कोई हो, सुनवाई की अगली तारीख से पहले पेश किया जाना चाहिए।"
संशोधन याचिका में अनुरोध किया गया है कि दिल्ली पुलिस द्वारा छात्रों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के साथ-साथ छात्रों द्वारा दी गई शिकायतों की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए। याचिका में कुछ लोक सेवकों के नाम भी लिए गए हैं जिन्हें स्वतंत्र एसआईटी का प्रमुख नियुक्त किया जा सकता है।



यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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