अडाणी मामले में जेपीसी जांच की विपक्ष की मांग जायज नहीं: जेठमलानी

Edited By Updated: 03 Feb, 2023 02:45 PM

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नयी दिल्ली, तीन फरवरी (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद महेश जेठमलानी ने शुक्रवार को विपक्ष के इस आरोप को खारिज कर दिया कि अडाणी समूह में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) द्वारा निवेश सरकार के इशारे पर किया गया था और कहा कि मामले की...

नयी दिल्ली, तीन फरवरी (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद महेश जेठमलानी ने शुक्रवार को विपक्ष के इस आरोप को खारिज कर दिया कि अडाणी समूह में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) द्वारा निवेश सरकार के इशारे पर किया गया था और कहा कि मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग को जायज नहीं ठहराया जा सकता।

अडाणी समूह से जुड़े इस मामले को लेकर संसद के दोनों सदनों में विपक्षी दलों ने हंगामा और नारेबाजी की। इस वजह से दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित हुई।

विपक्षी सदस्य अडाणी समूह से जुड़े मामले में जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने और इस मुद्दे पर संसद में चर्चा कराने की मांग कर रहे हैं।
राज्यसभा सदस्य जेठमलानी ने कहा कि इन निवेशों में गड़बड़ी होने पर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) जांच करेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार का इससे क्या लेना-देना है? किसी ने नहीं बताया कि इसमें सरकार की क्या भूमिका है? एलआईसी एक स्वतंत्र संगठन है। उन्होंने कुछ निवेश करने का फैसला किया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सेबी और आरबीआई इस पर गौर कर रहे हैं।’’
अडाणी मामले की जेपीसी जांच की विपक्ष की मांग के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘उनकी रिपोर्ट आने दीजिए।’’
सांसद ने कहा, ‘‘जेपीसी जांच की मांग जायज नहीं है।’’
अडानी समूह के शेयरों, जहां एलआईसी ने भारी निवेश किया है, के मूल्य में 100 अरब डॉलर से अधिक की गिरावट आई है। अमेरिका की शॉर्टसेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडाणी के शेयरों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है।
समूह ने सभी आरोपों से इनकार किया है और रिपोर्ट को दुर्भावनापूर्ण और झूठ से भरा बताया है।

विपक्ष ने पहले आरोप लगाया था कि अडाणी समूह में एलआईसी द्वारा निवेश मोदी सरकार के इशारे पर किया गया था।

जेठमलानी ने 2002 के गुजरात दंगों पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर भी सवाल उठाए और दावा किया कि ब्रिटेन स्थित समाचार संगठन एक ‘‘चीनी जागीरदार’’ था।

उन्होंने कहा, ‘‘बीबीसी और चीनी राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के बीच बहुत अधिक वित्तीय इंटर-लॉकिंग है। इन्होंने पैसे लिए हैं। उन्होंने मानवाधिकार उल्लंघनों से संबंध रखने के आरोपी चीन की सरकारी कंपनियों में 47,000 कर्मचारियों के अपने पेंशन कोष से कम से कम 15 करोड़ पाउंड का निवेश किया है।’’
भाजपा सांसद ने कहा, ‘‘इस प्रकार के वित्तीय लेनेदेन से शक ही पैदा होता है। जो कुछ भी भारत के खिलाफ वह बोल रहे हैं, वही तो चीन चाह रहा है। यदि आप चीन पर वित्तीय रूप से इतने निर्भर हो चुके हैं तो...उनका खाएंगे तो, उनका ही गाएंगे।’’
बाजार में अडानी समूह के शेयरों में गिरावट जारी रहने के बीच विपक्ष ने कहा कि इस गिरावट से एलआईसी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा किए गए निवेश के मूल्य को खतरा पैदा हो गया है।



यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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