Edited By Shubham Anand,Updated: 24 Oct, 2025 08:34 PM

दिल्ली के मैक्स अस्पताल के डॉक्टर अनिल ने बताया कि हल्का बुखार शरीर की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली का हिस्सा है और हर बार दवा लेना जरूरी नहीं। बार-बार पैरासिटामॉल या इबुप्रोफेन लेने से लिवर और किडनी को नुकसान हो सकता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हल्का...
नेशनल डेस्क: मौसम बदलने, वायरल इंफेक्शन या थकान के कारण बुखार आना आम बात है, लेकिन क्या हर बार बुखार होने पर दवाई लेना सही है? कई लोग बिना सोचे-समझे पैरासिटामॉल या अन्य दवाएं ले लेते हैं, लेकिन विशेषज्ञ इसे खतरनाक बता रहे हैं। आइए जानते हैं कि बुखार को लेकर डॉक्टर और रिसर्च क्या कहते हैं।
बुखार है शरीर का डिफेंस सिस्टम
दिल्ली के मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के सीनियर इंटरनल मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. अनिल के अनुसार, बुखार शरीर का प्राकृतिक रक्षा तंत्र है। जब वायरस या बैक्टीरिया हमला करते हैं, तो शरीर तापमान बढ़ाकर उन्हें खत्म करने की कोशिश करता है। 99-100 डिग्री फारेनहाइट तक का बुखार सामान्य है और इसे तुरंत दवाइयों से दबाने की जरूरत नहीं। 'जर्नल ऑफ इंफेक्शियस डिजीज' में 2025 में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, हल्का बुखार (100-102 डिग्री) इम्यून सिस्टम को इंफेक्शन से लड़ने में मदद करता है। लेकिन अगर बुखार 103 डिग्री से ज्यादा हो या तीन दिन से अधिक रहे, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। शोध में यह भी पाया गया कि बार-बार दवाइयों से बुखार दबाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है।
बार-बार दवाइयां लेना क्यों खतरनाक?
डॉ. अनिल बताते हैं कि बुखार आते ही पैरासिटामॉल या इबुप्रोफेन लेना सही नहीं। इन दवाइयों का अत्यधिक उपयोग लिवर और किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है। बुखार का कारण जाने बिना दवाइयां लेना खतरनाक हो सकता है। उदाहरण के लिए, अगर बुखार डेंगू या मलेरिया के कारण है, तो सिर्फ बुखार उतारने से बीमारी ठीक नहीं होगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, 60% लोग बुखार के लिए बिना प्रिस्क्रिप्शन दवाइयां लेते हैं, जिससे न केवल दवाओं का असर कम होता है, बल्कि साइड इफेक्ट्स का जोखिम भी बढ़ता है।
बुखार होने पर क्या करें?
डॉ. अनिल सलाह देते हैं कि हल्के बुखार में पहले घरेलू उपाय अपनाएं:
हाइड्रेशन: बुखार में शरीर में पानी की कमी हो जाती है। खूब पानी, नारियल पानी या ओआरएस पिएं।
हल्का खाना: खिचड़ी, सूप या दलिया खाएं और तला-भुना भोजन से बचें।
आराम: शरीर को रेस्ट दें, ज्यादा मेहनत न करें।
साफ-सफाई: बार-बार हाथ धोकर इंफेक्शन को फैलने से रोकें।
घरेलू उपाय: गीले कपड़े से पोंछना और हल्के कपड़े पहनना मददगार है।
बच्चों में 102 डिग्री तक बुखार को बिना दवाई मैनेज किया जा सकता है। लेकिन अगर बुखार के साथ सिरदर्द, उल्टी या सांस लेने में तकलीफ हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 103 डिग्री से ज्यादा बुखार होने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दवाइयां लें।
सावधानी बरतें, डॉक्टर की सलाह लें
विशेषज्ञों का कहना है कि बुखार को शरीर की रक्षा प्रणाली का हिस्सा समझें और बिना कारण जाने दवाइयों का सहारा न लें। थर्मामीटर से तापमान की नियमित जांच करें और गंभीर लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक से परामर्श लें। सही जानकारी और सावधानी से बुखार को आसानी से मैनेज किया जा सकता है, जिससे स्वास्थ्य को नुकसान नहीं पहुंचता।