क्या बंद हो जाएगी 10 मिनट डिलीवरी सर्विस? नए साल पर बढ़ सकती है आपकी मुश्किलें

Edited By Updated: 30 Dec, 2025 05:27 PM

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ब्लिंकिट, ज़ेप्टो और ज़ोमैटो जैसे ऐप्स के गिग वर्कर्स ने 31 दिसंबर, 2025 को देशव्यापी 'App Bandh' का आह्वान किया है। यूनियनों का विरोध मुख्य रूप से '10 मिनट डिलीवरी मॉडल' के खिलाफ है, जिसे वे असुरक्षित और शोषणकारी बता रहे हैं। उनकी मुख्य मांगों में...

नेशनल डेस्क : Blinkit और Zepto जैसी कंपनियों की 10 मिनट डिलीवरी सर्विस एक बार फिर विवादों में घिर गई है। गिग वर्कर्स यूनियनों ने इस मॉडल को असुरक्षित बताते हुए 31 दिसंबर, 2025 को देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। यूनियनों का कहना है कि तेज डिलीवरी के दबाव के चलते डिलीवरी पार्टनर्स की सुरक्षा और उनके अधिकारों से समझौता किया जा रहा है। New Year’s Eve पर होने वाली यह App Bandh हड़ताल कई शहरों में डिलीवरी सर्विस को प्रभावित कर सकती है।

गिग वर्कर्स क्यों कर रहे हैं हड़ताल?
गिग वर्कर्स यूनियनों का कहना है कि 10 मिनट डिलीवरी मॉडल डिलीवरी एजेंट्स पर खतरनाक दबाव डालता है। समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने के चक्कर में अक्सर सड़क सुरक्षा से समझौता करना पड़ता है। यूनियनों का आरोप है कि चाहे देरी रेस्टोरेंट या ग्राहक की वजह से हो, सजा हमेशा डिलीवरी एजेंट को मिलती है। इसी कारण, इस मॉडल को पूरी तरह बंद करने की मांग तेज हो गई है।

31 दिसंबर को देशव्यापी हड़ताल
इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स (IFAT) और गिग और प्लेटफॉर्म सेवा श्रमिक संघ सहित कई राष्ट्रीय यूनियनों ने 31 दिसंबर को App Bandh का आह्वान किया है। इससे पहले, 25 दिसंबर को भी हड़ताल हुई थी, जिससे गुरुग्राम और दिल्ली के कुछ इलाकों में डिलीवरी प्रभावित हुई थी। यूनियन लीडर्स के अनुसार, New Year’s Eve पर यह हड़ताल और अधिक असरदार हो सकती है, खासकर बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में।

गिग वर्कर्स की मुख्य मांगें
गिग वर्कर्स की मांग है कि प्लेटफॉर्म कंपनियों को श्रम कानूनों के दायरे में लाया जाए। इसके अलावा, 10 मिनट डिलीवरी मॉडल पर रोक, मनमाने ID ब्लॉक और पेनल्टी सिस्टम को खत्म करने की भी मांग की जा रही है। यूनियन बेहतर और पारदर्शी वेतन, सोशल सिक्योरिटी और सामूहिक सौदेबाजी के अधिकार की भी मांग कर रही है। इस मुद्दे पर श्रम मंत्री को भी पत्र भेजा गया है।

डिलीवरी एजेंट्स में डर का माहौल
कई डिलीवरी एजेंट हड़ताल में शामिल होना चाहते हैं, लेकिन उन्हें ब्लैकलिस्ट किए जाने का डर है। IFAT के अध्यक्ष प्रशांत सावरडेकर के अनुसार, कई वर्कर्स विरोध करना चाहते हैं, लेकिन कंपनियों की कार्रवाई से डरते हैं। डिलीवरी एजेंट्स का कहना है कि हर गलती का बोझ उन्हीं पर डाल दिया जाता है, चाहे गलती उनकी हो या नहीं।

रेस्टोरेंट और ग्राहकों पर असर
New Year’s Eve पर होने वाली हड़ताल का असर रेस्टोरेंट बिजनेस पर भी पड़ सकता है। कई होटल और फूड आउटलेट्स को डिलीवरी में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। छोटे रेस्टोरेंट अपने स्टाफ से डिलीवरी कराने की योजना बना रहे हैं, लेकिन बड़े ब्रांड्स के लिए यह आसान नहीं होगा।

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