Edited By ,Updated: 15 Jul, 2016 07:43 PM

एक बारगी कालाधन अनुपालन सुविधा को सफल बनाने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। आयकर विभाग ने इस योजना के प्रचार प्रसार हेतु ...
नई दिल्ली: एक बारगी कालाधन अनुपालन सुविधा को सफल बनाने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। आयकर विभाग ने इस योजना के प्रचार प्रसार हेतु अपने अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों में 50 गुना तक वृद्धि कर दी है। अब तक कर विभाग के क्षेत्रीय प्रमुख ‘विज्ञापन व प्रचार’ मद में सालभर में एक लाख रूपये तक खर्च कर सकते थे। लेकिन मौजूदा चार माह चलने वाली घरेलू कालाधन अनुपालन सुविधा के तहत आय घोषणा योजना (आईडीएस) तथा महत्वाकांक्षी विवाद निपटान योजना (डीआरटी) के लिए व्यापक मीडिया अभियान को ध्यान में रखते हुए इसमें वृद्धि की गई है।
ताजा दिशा निर्देशों के अनुसार मंडलीय प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त (पीसीसीआईटी) अब इस मद में एक लाख रपये के बजाय 50 लाख रूपये तक खर्च कर सकते हैं। वहीं सीसीआईटी व पीसीआईटी श्रेणी के अधिकारियों के लिए यह सीमा बढाकर क्रमश: 30 लाख रपये व 20 लाख रूपये की गई है ताकि इन दोनों योजनाओं के लिए व्यापक प्रचार प्रसार किया जा सके।
आईडीएस योजना जून से सितंबर तक है जिसमें घरेलू अघोषित संपत्ति का खुलासा किया जा सकता है। वहीं डीआरएस के तहत 31 दिसंबर तक करदाताओं व कर अधिकारियों के बीच विवादों की संया को कम किया जाना है। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने हाल ही में आयकर विभाग को एक जून से शुरू हुई एकबारगी काला धन अनुपालन सुविधा के लिये व्यापक प्रचार प्रसार का आदेश दिया था। विभाग से इस योजना का आलीशान बाजारों, क्लबों और शो-रूम में प्रचार करने को कहा गया। साथ ही विभाग से योजना के तहत कालेधन की घोषणा करने वालों की पहचान पूरी तरह गोपनीय रखने को भी कहा गया है। आयकर विभाग के अधिकारियों के अवकाश का भी नियमन करने के आदेश दिये गये हैं। अगले तीन माह के दौरान अधिकारियों से ज्यादा से ज्यादा समय इस योजना की सफलता को देने के लिये कहा गया है।