भारत ने पाकिस्तान को उड़ी हमले का दिया जवाब

Edited By ,Updated: 30 Sep, 2016 02:03 AM

the answer given by india to pakistan uri attack

18 सितम्बर को पाक समर्थित आतंकियों द्वारा हमारे20 जवानों को शहीद करने के विरुद्ध भारत में व्याप्त देशव्यापी रोष ...

18 सितम्बर को पाक समर्थित आतंकियों द्वारा हमारे20 जवानों को शहीद करने के विरुद्ध भारत में व्याप्त देशव्यापी रोष के बाद भारत सरकार पाकिस्तान के विरुद्ध कदम उठाने के संबंध में विचार करती आ रही है।

इनमें सिंधु जल संधि की समीक्षा, पाकिस्तान को तरजीही व्यापारी देश का दर्जा समाप्त करना, उस पर विमानन प्रतिबंध लगाना व 31 साल में पहली बार विश्व समुदाय में उसे अलग-थलग करने के लिए इस्लामाबाद में इस वर्ष नवम्बर में होने वाले सार्क सम्मेलन का बहिष्कार करना आदि शामिल हैं।

जहां बाकी तीन मामलों को अभी निलम्बन में रखा गया है, वहीं 28 सितम्बर को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने के भारत के प्रयासों को तब भारी सफलता मिली जब भारत सहित बंगलादेश, भूटान व अफगानिस्तान आदि ने सार्क सम्मेलन से हटने की घोषणा कर दी है।

दूसरी ओर उड़ी हमले के बाद भी पाकिस्तानी आतंकवादियों और सेना द्वारा भारत विरोधी गतिविधियां जारी रखने के चलते 28 सितम्बर रात्रि को भारतीय सेना ने ‘अत्यंत विशिष्ट तथा विश्वसनीय’ सूचना के आधार पर पाकिस्तान के साथ लगती नियंत्रण रेखा पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक्स’ करके 7 आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया और 40 आतंकवादियों को मार डाला।  

भारत के डी.जी.एम.ओ. लै.ज. रणबीर सिंह के अनुसार,‘‘जनवरी 2004 में पाकिस्तान ने आश्वासन दिया था कि वह अपनी धरती को भारत के विरुद्ध आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं होने देगा परंतु वह अपने वादे पर खरा नहीं उतरा। 

भारत इस इलाके में शांति चाहता है लेकिन हम आतंकवादियों को नियंत्रण रेखा के इस पार आकर हमला करने और आम नागरिकों की जान-माल को नुक्सान पहुंचाने की अनुमति नहीं दे सकते।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस कार्रवाई का उद्देश्य आतंकवादियों को मार गिराना था जिसके बारे में पाकिस्तान को पहले ही बता दिया गया था।  एल.ओ.सी. पर जमा ये सभी आतंकवादी कश्मीर में घुस कर भारत के कई बड़े शहरों में हमला करना चाहते थे जिनमें से कुछ को हमने गिरफ्तार भी किया है।’’

भारत के विरुद्ध चार-चार युद्ध लड़कर मुंह की खाने के बावजूद अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे पाकिस्तान को यह सही जवाब है और इस समय जबकि उस पर युद्ध का उन्माद छाया हुआ है, भारत की इस कार्रवाई की प्रतिक्रिया स्वरूप पाकिस्तान द्वारा सीमा पर शरारत की आशंका के दृष्टिगत पंजाब के फिरोजपुर और अमृतसर में अलर्ट जारी करके सीमा पर रिट्रीट सैरेमनी रद्द करने के अलावा लोगों को सीमा पर न जाने की हिदायत भी दी गई है। 

इस आप्रेशन के बाद सीमावर्ती गांवों और शहरों में सेना की गतिविधियां तेज हो गई हैं। डाक्टरों और नर्सों  तथा पश्चिमी सीमा पर तैनात सुरक्षाबलों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। भारत-पाकिस्तान की सीमा के साथ लगने वाले राज्यों को हाईअलर्ट पर रखा गया है।

गृह मंत्रालय ने कश्मीर, पंजाब और गुजरात में सीमा से सटे गांवों को खाली करवाने की एडवाइजरी राज्य सरकारों को जारी की है जिन्होंने इस पर फौरन कार्रवाई करते हुए लोगों को इन इलाकों से हटाना शुरू कर दिया है। 

हालांकि इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है लेकिन पाकिस्तानी शासक दीवार पर लिखा पढऩे को तैयार नहीं हैं। इस संबंध में प्रमुख अमरीकी समाचारपत्र ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा है कि वह ‘‘रणनीतिक संयम बरतने की भारत की नीति को अधिक समय तक हल्के में लेने की भूल न करे।’’ 

भारत हमेशा अपने पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण और मधुर संबंध चाहता है और सिवाय पाकिस्तान तथा चीन के लगभग सभी पड़ोसियों से हमारे अच्छे संबंध हैं। इसका प्रमाण बंगलादेश, भूटान व अफगानिस्तान आदि ने सार्क सम्मेलन के बहिष्कार के मामले पर भारत का साथ देकर दिया है और इसे सार्क सम्मेलन के माध्यम से विश्व समुदाय में अपनी छवि सुधारने के पाकिस्तान के प्रयासों के लिए बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है। 

हालांकि स्वयं पाकिस्तान में उसी के पाले हुए आतंकवादी रोज धमाके करके खून की होली खेल रहे हैं तथा सिंध और ब्लूचिस्तान ही नहीं बल्कि पी.ओ.के. में भी पाकिस्तान के विरुद्ध विद्रोह की चिंगारियां भड़क रही हैं परंतु लगता है कि पाकिस्तानी शासकों की दिलचस्पी अपने घर के हालात ठीक करने में कम और भारत में रक्तपात करवाने में अधिक है।            

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