भारतीय महिलाओं के लिए न्याय की राह में बाधाएं

Edited By ,Updated: 18 Aug, 2024 05:50 AM

barriers to justice for indian women

लाल किले से स्वतंत्रता दिवस पर अपने 98 मिनट के भाषण में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘विकसित भारत 2047’ विजन के तहत महिलाओं की उन्नति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की। उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण को मुख्य विषय के रूप में...

लाल किले से स्वतंत्रता दिवस पर अपने 98 मिनट के भाषण में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘विकसित भारत 2047’ विजन के तहत महिलाओं की उन्नति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की। उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण को मुख्य विषय के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने महिलाओं के खिलाफ अपराधों की त्वरित जांच और कठोर दंड का आह्वान किया, ऐसे अपराधों को रोकने के लिए सामाजिक बदलाव की आवश्यकता पर बल दिया। 

मोदी ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए अपनी सरकार की पहलों पर भी प्रकाश डाला जिसमें स्वयं सहायता समूहों में महिलाओं की वृद्धि, वित्तीय स्वतंत्रता  में वृद्धि, रक्षा और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में अधिक प्रतिनिधित्व शामिल है। उन्होंने मातृत्व अवकाश को 12 से बढ़ाकर 26 सप्ताह करने जैसे नीतिगत बदलावों का उल्लेख किया और महिलाओं के लिए अधिक न्यायपूर्ण समाज को बढ़ावा देने के लिए समान नागरिक संहिता की वकालत की। जबकि हमें भारत की विविध संस्कृति और बढ़ती अर्थव्यवस्था पर गर्व होना चाहिए, हम महिलाओं के खिलाफ हिंसा के व्यापक मुद्दे को नजरअंदाज नहीं कर सकते। अकेले 2022 में, भारत में महिलाओं के खिलाफ 445,000 से अधिक अपराध दर्ज किए गए, जिनमें बलात्कार और घरेलू हिंसा शामिल हैं और कई और शायद रिपोर्ट ही नहीं किए गए। 1972 में मथुरा केस और 2012 में निर्भया केस जैसे हाई-प्रोफाइल मामलों ने विधायी सुधारों को जन्म दिया है, फिर भी भारतीय महिलाओं के लिए न्याय की राह में महत्वपूर्ण बाधाएं बनी हुई हैं। 

आइए इस महीने की शुरूआत में 31 वर्षीय पोस्ट-ग्रैजुएट ट्रेनी डाक्टर का मामला लेते हैं, जिसकी हत्या आर.जी. कर मैडीकल कॉलेज के एक सैमीनार हॉल में की गई थी, जहां वह नाइट ड्यूटी पर थी। उसका शव अर्धनग्न अवस्था में बलात्कार और गला घोंटने के निशानों के साथ मिला, जिस पर गंभीर चोटें थीं। पास में, उसके कपड़े और बालों के साथ खून से लथपथ गद्दा मिला। कुछ पुलिस सूत्रों का अनुमान है कि बलात्कार से पहले उसकी हत्या की गई होगी। संदिग्ध संजय रॉय को अपराध स्थल पर उसका ब्लूटूथ हैडफोन मिलने के बाद गिरफ्तार किया गया और उसके घर से खून से सना जूता बरामद किया गया। कोलकाता पुलिस में नागरिक स्वयंसेवक के रूप में कार्यरत रॉय का दुव्र्यवहार और धोखाधड़ी का इतिहास रहा है। हत्या के बाद डाक्टरों और चिकित्सा समुदाय ने विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया है, जो सी.सी.टी.वी. कवरेज की कमी, डाक्टरों के लिए अपर्याप्त विश्राम क्षेत्र और रात में बाहरी लोगों की जांच नहीं होने का हवाला देते हुए अस्पताल में बेहतर सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा और विपक्षी दलों पर राजनीतिक लाभ के लिए मामले का फायदा उठाने का आरोप लगाया है। बनर्जी ने दावा किया कि इन दलों ने बंगाल को बदनाम करने के लिए अभियान चलाते हुए सोशल मीडिया लाइक और मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए इस घटना का इस्तेमाल किया। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की आलोचना की, जिन्होंने उनकी सरकार पर आरोपियों को बचाने की कोशिश करने का आरोप लगाया था, उन्होंने अन्य राज्यों में इसी तरह की घटनाओं से निपटने के कांग्रेस के तरीके पर सवाल उठाया। बनर्जी ने इस बात पर भी जोर दिया कि उनकी सरकार बंगाल के खिलाफ बदनामी बर्दाश्त नहीं करेगी, लेकिन वह आरोपियों के लिए मृत्युदंड का समर्थन करती है। कोलकाता उच्च न्यायालय द्वारा जांच को सी.बी.आई. को सौंपने के फैसले के बाद, उन्होंने रविवार तक अपराधी को फांसी देने का आह्वान किया। 

फरवरी 2015 में, तुर्की में 20 वर्षीय विश्वविद्यालय की छात्रा ओजगेकन असलान की हत्या ने महिलाओं के खिलाफ ङ्क्षहसा और सरकार की अपर्याप्त प्रतिक्रिया के खिलाफ व्यापक आक्रोश और राष्ट्रव्यापी विरोध को जन्म दिया। असलान के मामले ने उसकी हत्या की क्रूरता के कारण अभूतपूर्व ध्यान आकर्षित किया था। इस बढ़ते ध्यान का एक और कारण यह था कि मीडिया ने अपराध की चरम हिंसा को असलान की उच्च नैतिक चरित्र और विनम्रता की छवि के साथ कैसे तुलना की। उसे एक सदाचारी और विनम्र छात्रा के रूप में चित्रित किया गया था, उसका एकमात्र ‘दोष’ यह था कि वह स्कूल के बाद एक मिनी बस में अकेली थी, जो शॉपिंग मॉल जा रही थी। भारत में, लैंगिक-आधारित हिंसा का अक्सर राजनीतिकरण किया जाता है, और पीड़ितों को न्याय के लिए दशकों तक इंतजार करना पड़ सकता है। राजनेताओं के सांस्कृतिक दृष्टिकोण और खारिज करने वाली टिप्पणियां समस्या को बनाए रखती हैं और अक्सर महिलाओं पर दोष मढ़ती हैं। 

महिलाओं को बिना किसी डर के जीने का हक है और इस मौलिक मानव अधिकार को बनाए रखने के लिए भारत में और अधिक काम करने की जरूरत है। सरकार को महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। प्रधानमंत्री मोदी को निर्णायक कार्रवाई के साथ नेतृत्व करना चाहिए और महिलाओं की सुरक्षा के लिए पूर्ण-प्रमाणित कदम सुनिश्चित करने के लिए सभी पक्षों को शामिल करना चाहिए। हमें याद रखना चाहिए कि महिलाएं हमारे समाज का मूल हैं और हमें उनके सम्मान और सुरक्षा की रक्षा करनी चाहिए। यह हमारी परंपरा है और हम इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकते।-हरि जयसिंह
 

Related Story

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!