Edited By Parveen Kumar,Updated: 27 Dec, 2025 10:06 PM

पिछले पांच वर्षों में भारतीय नागरिकों के निर्वासन को लेकर सामने आए सरकारी आंकड़े कई मायनों में हैरान करने वाले हैं। विदेश मंत्रालय (MEA) ने राज्यसभा में जो जानकारी पेश की है, उसके मुताबिक भारतीय नागरिकों को सबसे अधिक निर्वासित करने वाला देश अमेरिका...
नेशनल डेस्क: पिछले पांच वर्षों में भारतीय नागरिकों के निर्वासन को लेकर सामने आए सरकारी आंकड़े कई मायनों में हैरान करने वाले हैं। विदेश मंत्रालय (MEA) ने राज्यसभा में जो जानकारी पेश की है, उसके मुताबिक भारतीय नागरिकों को सबसे अधिक निर्वासित करने वाला देश अमेरिका नहीं, बल्कि सऊदी अरब रहा है। वहीं, अमेरिका से किए गए निर्वासन के आंकड़े इसकी तुलना में काफी कम हैं। आंकड़े यह भी साफ करते हैं कि खाड़ी देशों में निर्वासन के मामले अवैध सीमा पार करने से ज्यादा वीजा और श्रम कानूनों के उल्लंघन से जुड़े हुए हैं।
18 दिसंबर 2025 को राज्यसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया कि कई देश हिरासत (डिटेंशन) के आंकड़े नियमित रूप से साझा नहीं करते। हालांकि, इमरजेंसी सर्टिफिकेट (Emergency Certificate) के जरिए किए गए निर्वासन भारतीय नागरिकों के खिलाफ की गई प्रवर्तन कार्रवाई का एक भरोसेमंद संकेत माने जाते हैं।
सऊदी अरब बना सबसे बड़ा निर्वासन केंद्र
सरकार द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2021 से 2025 के बीच सऊदी अरब ने सबसे अधिक भारतीय नागरिकों को निर्वासित किया है। रियाद स्थित भारतीय मिशन के मुताबिक-
- 2021 में: 8,887
- 2022 में: 10,277
- 2023 में: 11,486
- 2024 में: 9,206
- 2025 (अब तक): 7,019 भारतीय नागरिकों को सऊदी अरब से वापस भेजा गया।
अधिकारियों का कहना है कि ये ऊंचे आंकड़े सऊदी अरब में इकामा नियमों, श्रम सुधारों, वीजा ओवरस्टे और सऊदीकरण (Saudisation) नीति के तहत समय-समय पर चलाए गए सख्त अभियानों का नतीजा हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “खाड़ी देशों, खासकर सऊदी अरब में निर्वासन के ज्यादातर मामले बिना अनुमति काम करने, वीजा अवधि खत्म होने के बाद ठहरने या स्थानीय श्रम कानूनों के उल्लंघन से जुड़े होते हैं।”
अमेरिका से निर्वासन क्यों रहा कम?
इसके उलट, अमेरिका से भारतीय नागरिकों के निर्वासन की संख्या अपेक्षाकृत काफी कम रही है, भले ही वहां इमिग्रेशन नीति को लेकर बहस तेज रही हो। विदेश मंत्रालय के अनुसार, वॉशिंगटन डीसी से निर्वासन के आंकड़े इस प्रकार हैं-
- 2021 में: 805
- 2022 में: 862
- 2023 में: 617
- 2024 में: 1,368
- 2025 में: 3,414
इसके अलावा सैन फ्रांसिस्को, न्यूयॉर्क, अटलांटा, ह्यूस्टन और शिकागो जैसे अन्य अमेरिकी मिशनों से निर्वासन की संख्या अधिकतर दो अंकों या कुछ सौ तक ही सीमित रही, जो खाड़ी देशों के मुकाबले काफी कम है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि अमेरिका से होने वाले निर्वासन भी मुख्य रूप से वीजा ओवरस्टे या स्टेटस उल्लंघन से जुड़े होते हैं, न कि बड़े पैमाने पर अवैध प्रवेश या हिरासत से। कई मामलों में भारतीय नागरिकों के पास वैध यात्रा दस्तावेज होते हैं, इसलिए इमरजेंसी सर्टिफिकेट की जरूरत भी कम पड़ती है।
निर्वासन के मुख्य कारण क्या हैं?
विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारतीय नागरिकों के निर्वासन के प्रमुख कारणों में-
- वीजा अवधि से अधिक समय तक ठहरना
- वैध वर्क परमिट के बिना काम करना
- नियोक्ता से भाग जाना (Absconding)
- स्थानीय श्रम कानूनों का उल्लंघन
- और बड़े स्तर पर चलाए गए प्रवर्तन अभियान