मोदी की तरह एयरबेस नहीं जा सकते शहबाज

Edited By ,Updated: 19 May, 2025 05:36 AM

shahbaz cannot go to the airbase like modi

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  स्वयं आदमपुर एयरबेस यानी वायु सैनिक अड्डे पर गए जहां से उनका कार्यक्रम पूरी दुनिया ने देखा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कुछ एयरबेस पर जा रहे हैं। पाकिस्तान ने झूठ फैलाया था कि पंजाब स्थित आदमपुर एयरबेस पर हमले में रनवे,...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  स्वयं आदमपुर एयरबेस यानी वायु सैनिक अड्डे पर गए जहां से उनका कार्यक्रम पूरी दुनिया ने देखा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कुछ एयरबेस पर जा रहे हैं। पाकिस्तान ने झूठ फैलाया था कि पंजाब स्थित आदमपुर एयरबेस पर हमले में रनवे, मिग-29 जेट, एस.400 एयर डिफैंस सिस्टम और राडार नष्ट कर दिया, 60 सैनिक मारे गए और एयरबेस को भारी नुकसान पहुंचा। पाकिस्तान के सामने चुनौती है कि उसके प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ  उन एयरबेसों पर जाकर लाइव दिखाएं जिनके बारे में भारत ने जबरदस्त क्षति पहुंचाने की बात कही है । प्राइवेट कंपनी मेक्सार ने सैटेलाइट की तस्वीरें जारी की हैं। इनमें सरगोधा, नूर खान, भेल्लारी, सुक्कूर, जकोबाबाद स्थित शाहबाज एयरबेस आदि की तस्वीरें बता रही हैं कि 8 मई के पहले कैसी थीं और भारतीय कार्रवाई के बाद किस हालत में हैं। खंडन तभी होगा जब पाकिस्तान वहां से लाइव कार्यक्रम करे और वह प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के द्वारा ही संभव है। काफी दिनों बाद उनमें से कुछ पर जाते हैं तो कोई मायने नहीं होगा क्योंकि कम क्षति वाले कुछ क्षेत्र की मरम्मत की जा सकती है। 

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ऐसा नहीं कर पाए हैं और यही बताता है कि भारतीय सेना का दावा सही है। शब्दों से खंडन करने की जगह प्रधानमंत्री ने स्वयं जाने और सैनिकों से संवाद करने का रास्ता चुना। लाइव तस्वीरें दुनिया देख रही थी। प्रधानमंत्री जहां से बोल रहे थे उसके पीछे एस400 प्रणाली भी दिख रही थी, रनवे भी दिखा और सैनिकों का उत्साह सातवें आसमान पर था। जब कोई देश किसी पर हमला करेगा और हमारे बीच अघोषित युद्ध होगा तो यह संभव नहीं कि उसमें अपना नुकसान नहीं हो। बगैर मूल्य चुकाए कोई उपलब्धि हासिल नहीं होती। देश का मानस पाकिस्तान के साथ सैनिक टकराव में इसके लिए तैयार था कि हमारा भी नुकसान होगा किंतु उसे सबक सिखाए बगैर रुकना नहीं है।  जितनी संख्या में उनके मिसाइल, ड्रोन चले, लड़ाकू जैट तक शामिल हुए तो उसका कहीं असर होगा। युद्ध की स्थिति में रणनीति की दृष्टि उस पर चर्चा उचित नहीं होगी। वैसे जितनी जानकारी आई है उसके अनुसार कोई बड़ी क्षति भारत को नहीं हुई। पाकिस्तान ने अपने सैन्य दुस्साहस की शर्र्मनाक विफलता और लगातार कमजोर होती रक्षा और आक्रमण प्रणाली से देश की जनता की दृष्टि हटाने के लिए लगातार झूठी सूचनाएं प्रसारित कीं।

पाकिस्तान के दुष्प्रचार का साथ देने वाले हमारे देश के ईकोसिस्टम ने आदमपुर से आए वीडियो में एक-एक के चेहरे और आंखों को तलाशने की कोशिश की होगी ताकि कोई या कुछ मिल जाए जिसके चेहरे को देखकर बता सकें कि उत्साह झूठा था। वीडियो को रोक कर स्लो मोशन में देखा होगा ताकि कुछ नुकसान दिख जाए। कुछ दिखा नहीं पाए इसका अर्थ भी साफ  है। दुर्भाग्य से भारत को दुष्प्रचार युद्ध में पाकिस्तान और भारत विरोधी विदेशी शक्तियों के साथ बड़ी संख्या में अपने देश के उन समूहों से लडऩा पड़ रहा है जिनके बारे में समझना मुश्किल है कि उनकी प्रतिबद्धता क्या है। सच यह है जब भारत की मिसाइलें पाकिस्तान के न्यूक्लियर संस्थाओं के दरवाजे तक पहुंच गईं वह ज्यादा भयभीत हुआ कि आगे न्यूक्लियर युद्ध की धमकी भी देने की स्थिति में नहीं रहेंगे। डोनाल्ड ट्रंप स्वयं को विश्व का अगुवा नेता और अपने नेतृत्व में अमरीका को किसी संघर्ष को रोकने में सक्षम दिखाने के उतावलेपन में कह रहे हैं कि उन्होंने दो नाभिकीय संपन्न देशों के बीच नाभिकीय युद्ध रुकवाया तो साफ  है कि पाकिस्तान ने यही बात रखी होगी। हालांकि नाभिकीय युद्ध की कहीं संभावना नहीं थी।

प्रधानमंत्री मोदी के समक्ष अमरीका की ओर से यह बात आई तभी तो उन्होंने कहा कि न्यूक्लियर ब्लैकमेल नहीं चलेगा। क्या इसका अर्थ है कि भारतीय सुरक्षा बलों ने अपनी युद्ध रणनीति के कारण यह आत्मविश्वास प्राप्त कर लिया है कि समय पर पाकिस्तान के नाभिकीय संस्थानों को ऐसी स्थिति में पहुंचा सकते हैं या उनका नियंत्रण ले सकते हैं जहां न रेडियोएक्टिव तत्वों के रिसने का खतरा रहे और न पाकिस्तान उनके इस्तेमाल करने में सक्षम, अभी अंतिम निष्कर्ष नहीं दिया जा सकता किंतु दो दिनों के युद्ध में कुछ स्थितियां स्पष्ट थीं। विश्व के कई विख्यात रक्षा विशेषज्ञ तथा हवाई उड्डयन मामलों के विश्लेषक भी इसकी पुष्टि कर रहे हैं। ज्यादातर मान रहे हैं या लिख रहे हैं कि 10 मई को जब भारतीय वायु सेना ने ब्रह्मोस और स्कैल्प इजी मिसाइलों से पाकिस्तान के कई एयरबेस को निशाना बनाया और इस दौरान सुखोई 30 एम.के. आई., मिराज 2000 और राफेल भी दौड़ रहे थे तो उसकी स्थिति काफी खराब हो गई। जगुआर लड़ाकू बमवर्षक विमानों से इसराईल से प्राप्त रैम्पेज मिसाइलों से सुक्कूर एयरबेस को निशाना बनाया। ब्रह्मोस.ए सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल  ने एयरबेस के मुख्य रनवे को पूरी तरह नष्ट कर दिया। 

रहीम यार खान एयरबेस को शेख जायद अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भी कहा जाता है, जो पाकिस्तान वायुसेना का महत्वपूर्ण सैन्य अड्डा है। हमले को रात में सटीकता से अंजाम दिया गया ताकि नागरिक नुकसान से बचा जा सके। वास्तव में 9 मई को चीन और पाकिस्तान की झूठी सूचनाएं और प्रोपेगंडा का प्रसार युद्ध से भी सघन था और उससे भ्रम और गलतफहमियां पैदा हुईं। किंतु संघर्ष रुकने के दिन से लेकर अगले दो दिनों तक भारतीय सेना के द्वारा की गई पत्रकार वार्ताओं और प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संबोधन तथा आदमपुर हवाई अड्डे पर सैनिकों के बीच भाषण से स्पष्ट हो गया है कि भारत का संकल्प अटल है। पाकिस्तान आतंकवाद समाप्त करे, सैन्य दुस्साहस से बाज आए अन्यथा आगे और कहर होगा।-अवधेश कुमार 
 

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