किसे जरूरत है एक कठोर नेता की

Edited By ,Updated: 06 Mar, 2022 04:46 AM

who needs a tough leader

एक अमरीकी कहावत है जिसका अर्थ है ‘जब चलना कठिन हो जाए तो एक सख्त व्यक्ति ही चलता रहता है।’ मुझे हमेशा हैरानी होती है कि यह ‘सख्त या कठोर’ क्या है? अलग संदर्भों में इस शब्द के अलग अर्थ हैं। ‘सख्त अथवा कड़े’ का अर्थ दृढ़ निश्चय, कड़ी मेहनत करने की

एक अमरीकी कहावत है जिसका अर्थ है ‘जब चलना कठिन हो जाए तो एक सख्त व्यक्ति ही चलता रहता है।’ मुझे हमेशा हैरानी होती है कि यह ‘सख्त या कठोर’ क्या है? अलग संदर्भों में इस शब्द के अलग अर्थ हैं। ‘सख्त अथवा कड़े’ का अर्थ दृढ़ निश्चय, कड़ी मेहनत करने की क्षमता, कठिन (जैसा कि एक कठिन खेल) या जिद्दी हो सकता है। सख्त का अर्थ धमकाने वाला, रूखा अथवा हिंसक व्यक्ति भी हो सकता है। 

मुक्तिदाता से सख्त
आमतौर पर एक लोकतांत्रिक तरीके से चुना हुआ नेता सत्ता में लम्बे समय तक बने रहने के बाद गद्दी छोडऩे का अनिच्छुक होता है, और वह  ‘जिद्दी’ बन जाता है। हिटलर मेरे जन्म लेने से पहले था। बढ़ते हुए मुझे जवाहर लाल नेहरू के करीबी मित्रों को मुक्तिदाताओं से ‘जिद्दी’ नेताओं में बदलते देख कर निराशा होती थी : कवाम नक्रुमाह, जोसेफ ब्रोज टीटो, गमाल अब्देलनासिर तथा सुकर्णो। इनमें से प्रत्येक ने अपने देश में स्वतंत्रता संघर्ष का नेतृत्व किया, जनमत द्वारा चुने गए, लोगों से प्रशंसा  प्राप्त की लेकिन अंतत: ‘जिद्दी’ बन गए तथा लोकतंत्र व अपनी खुद की विरासत को दफन कर दिया। 

पंचशील पर हस्ताक्षर करने वाले पांचों लोगों में से केवल जवाहर लाल नेहरू अपवाद थे। उनके प्रधानमंत्रित्वकाल के अंतर्गत प्रत्येक चुनाव-1952, 1957 तथा 1962, वास्तव में लोकतांत्रिक चुनाव था। उनके चुनावी भाषण लोकतंत्र में सबक थे। उनकी सभाओं में अधिकतर लोग अंग्रेजी नहीं समझते थे लेकिन उन्हें आभास हो जाता था कि वह लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्रनिर्माण के कठिन कार्य, गरीबी हटाने तथा सरकार की भूमिका आदि के बारे में बात कर रहे थे। नेहरू से लोग प्रेम करते थे, वह कभी भी ‘जिद्दी या कठिन’ नहीं बने। 

वर्तमान विश्व सख्त नेताओं से भरा पड़ा है। यदि आज स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव करवाए जाएं तो उनमें से कोई भी चुना नहीं जाएगा। प्रमुख सख्त नेता हैं ब्राजील के जायर बोल्सोनारो, तुर्की के रेसेप एर्दोगन, मिस्र के अब्दुल अल-सिसि, हंगरी के विक्टोर ओरबन, बेलारूस के एलैग्जैंडर लुकाशेंको, उत्तरी कोरिया के किम जोंग-उन तथा दर्जनों अन्य जो अपने देश अथवा अपने महाद्वीप के बाहर नहीं जाने जाते। व्लादिमीर पुतिन खुद अपने में एक श्रेणी हैं। ऐसे ही शी जिनपिंग हैं। दोनों ही ‘सख्त’ नेता हैं जिनकी योजना तब तक शासन करने की है जब तक वे जीवित रहते हैं। जब मैं यह लिख रहा हूं, सख्त रूसी नेता असहाय यूक्रेन पर रॉकेटों तथा बमों की बरसात कर रहे हैं। एक गणना के अनुसार 52 देश ऐसे हैं जिनकी सरकारों को तानाशाह कहा जा सकता है। 

मोदी भी ‘सख्ती’ को अधिमान देते हैं
उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार में नरेन्द्र मोदी ने ‘सख्त’ नेताओं को चुनने की जरूरत बारे बात की। बहराइच में एक रैली के दौरान मोदी ने कहा ‘जब विश्व में उथल-पुथल मची हुई है, भारत को मजबूत होने की जरूरत है और कठिन समयों के लिए एक सख्त नेता की जरूरत है’। विडम्बना है कि बहराइच उत्तर प्रदेश के उन तीन जिलों में से एक है जहां नीति आयोग के अनुसार, गरीबी दर 70 प्रतिशत से अधिक है। 

ऐसा लगता है मोदी स्पष्ट तौर पर उत्तर प्रदेश में भाजपा के नेता योगी आदित्यनाथ को पुन: चुना जाना चाहते हैं क्योंकि योगी एक ‘कठोर’ नेता हैं जिनकी इन ‘कठिन’ समयों में जरूरत है। योगी आदित्यनाथ कानून-व्यवस्था लागू करने में विश्वास करते हैं और विपक्ष को सहन नहीं करते। ‘एनकाऊंटर्स’ को आधिकारिक तौर पर स्वीकृति प्राप्त है। एक अपराधी को कानून की अदालत के सामने लाने और दंड देने की जरूरत नहीं, उसे एक ‘एनकाऊंटर’ में ही ढेर किया जा सकता है। अंग्रेजी के एक अखबार में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार (13 जुलाई 2021), मार्च 2017 तथा जून 2021 के बीच पुलिस एनकाऊंटर्स में 139 अपराधी मारे गए तथा 3196 घायल हुए। 

योगी आदित्यनाथ का एक पसंदीदा शब्द ‘बुल्डोजर’ है। 27 फरवरी 2022 को सुल्तानपुर जिला में करका बाजार में एक रैली को संबोधित करते हुए योगी जी ने कहा ‘हमने यह मशीन विकसित की है जो एक्सप्रैस हाईवेज बनाती है तथा माफियाओं व अपराधियों से भी निपटती है। जब मैं यहां आ रहा था तो मैंने 4 बुल्डोजर देखे। मैंने सोचा यहां पांच विधानसभा क्षेत्र हैं, हम प्रत्येक में एक भेजेंगे, तब सब कुछ ठीक हो जाएगा।’ उत्तर प्रदेश में इमारतें गिराने अथवा उनमें रहने (कथित रूप से गैर-कानूनी) वाले लोगों को निकालने के लिए बुल्डोजरों के इस्तेमाल के लिए अदालती आदेशों अथवा कोई कानूनी प्रक्रिया आवश्यक नहीं है। 

योगी आदित्यनाथ इतने सख्त हैं कि केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन, जो हाथरस के दुष्कर्म तथा हत्या के मामले को देख रहे हैं, को 5 अक्तूबर 2020 से जेल में रखा गया है। ‘वायर’ के अनुसार जब से योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने हैं, कुल 12 पत्रकार मारे गए हैं, 48 के साथ मारपीट की गई तथा विभिन्न आरोपों में 66 को हिरासत में लिया गया अथवा गिरफ्तार किया गया। सख्त मुख्यमंत्री ने अपनी पार्टी को 403 निर्वाचन क्षेत्रों में से किसी में भी किसी मुस्लिम को टिकट न देने के लिए राजी किया, यद्यपि मुसलमान राज्य की जनसंख्या का 20 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं। सख्त नेता के अंतर्गत उत्तर प्रदेश गरीब है, लोग और अधिक गरीब बन गए हैं तथा 5 वर्षों के दौरान राज्य के कर्ज में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो अब 6,62,891 करोड़ रुपए की विशाल राशि के तौर पर खड़ा है। 

भद्र तथा समझदार
मैं समझता हूं कि भद्र नेता बेहतरीन हैं। वे समझदार हैं, नर्मी से बोलते हैं, लोगों की सुनते हैं, संस्थाओं तथा कानून का सम्मान करते हैं, विभिन्नता का उत्सव मनाते हैं, लोगों के बीच सद्भाव बनाने के लिए काम करते हैं तथा चुपचाप अपना पद छोड़ देते हैं। वे लोगों के जीवन को बेहतर बनाते हैं। वे नौकरियां, बेहतर शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाते हैं। वे युद्ध के खिलाफ हैं तथा जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का समाधान करते हैं। विश्व में ऐसे नेता रहे हैं और हैं। इनमें से अतुलनीय नेल्सन मंडेला एक थे।  अन्य उदाहरण हैं जर्मनी की पूर्व चांसलर एंजेला मार्केल, न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न, नीदरलैंड्स के प्रधानमंत्री मार्क रुट तथा कुछ अन्य। मुझे नहीं पता कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर तथा गोवा किस तरह के नेता चुनेंगे। यदि मुझे इनमें से किसी भी राज्य में मतदान करना होता तो मैं एक भद्र तथा समझदार नेता को वोट देता।-पी. चिदम्बरम

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!