वित्त मंत्रालय की BSNL-MTNL के 74 हजार करोड़ रुपए के रिवाइवल पैकेज पर लगी रोक

Edited By Updated: 28 Sep, 2019 05:23 PM

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वित्त मंत्रालय ने भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) और महानगर टेलिफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) के 74 हजार करोड़ रुपए के रिवाइवल पैकेज के प्रस्ताव पर फिलहाल रोक लगा दी है। वित्त मंत्रालय ने दूरसंचार मंत्रालय से नया प्लान लाने के लिए कहा है।

नई दिल्लीः वित्त मंत्रालय ने भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) और महानगर टेलिफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) के 74 हजार करोड़ रुपए के रिवाइवल पैकेज के प्रस्ताव पर फिलहाल रोक लगा दी है। वित्त मंत्रालय ने दूरसंचार मंत्रालय से नया प्लान लाने के लिए कहा है। 

बंद करने पर आएगा ज्यादा खर्चा
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दूरसंचार मंत्रालय ने कहा है कि इन दोनों सरकारी टेलिकॉम कंपनियों को बंद करने से सरकार को करीब 95 हजार करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे। पैकेज में कर्मियों की रिटायरमेंट होने वाली उम्र को 60 साल से घटाकर के 58 साल करने के लिए कहा गया था। इसके साथ ही बीएसएनएल के 1.65 लाख कर्मचारियों को आकर्षक वीआरएस पैकेज देने के लिए भी कहा गया था। 

प्लान को मिली थी पीएमओ से मंजूरी
दोनों कंपनियों के लिए रिवाइवल प्लान को प्रधानमंत्री कार्यालय से सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई थी। प्लान के मुताबिक दोनों कंपनियों को पूरे देश में 4जी सेवाओं को शुरू करने के लिए लाइसेंस दिया जाएगा। इससे दोनों कंपनियों की खराब वित्तीय हालत को सुधारने का मौका मिलेगा। 

ट्रांसफर नहीं होगा लोन
हालांकि पीएमओ ने विलय, लोन और संपत्तियों को बेचने के प्रस्ताव पर स्पेशल पर्पज व्हीकल को खड़ा करने के फैसले को टाल दिया है।  हालांकि दोनों कंपनियों की संपत्तियों को बेचने या फिर किराये पर देने के एक संयुक्त कमेटी बनाने को मंजूरी दे दी है। इस कमेटी में बीएसएनएल, दूरसंचार विभाग और विनिवेश विभाग के अधिकारी शामिल होंगे। अब इन सभी प्रस्तावों को कैबिनेट के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। 

केंद्र की इस मदद से बीएसएनएल को 6365 करोड़ रुपए और एमटीएनएल को 2120 करोड़ रुपए इस मद के लिए मिलेंगे। इसके एवज में सरकार 10 साल के लिए जारी बांड को गिरवी के तौर पर रखेगी। बीएसएनएल पर फिलहाल 14 हजार करोड़ की देनदारी है और वित्त वर्ष 2017-18 में उसे 31287 करोड़ का नुकसान हुआ था। कंपनी में फिलहाल 1.76 लाख कर्मचारी कार्यरत हैं। वीआरएस देने से कर्मचारियों की संख्या अगले 5 सालों में 75 हजार रह जाएगी। 

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