Edited By jyoti choudhary,Updated: 06 Nov, 2025 12:52 PM

अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो यह खबर आपके लिए अहम है। बाजार नियामक SEBI म्यूचुअल फंड स्कीमों में ब्रोकरेज फीस से जुड़े नियमों में संतुलित बदलाव करने पर विचार कर रहा है।
बिजनेस डेस्कः अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो यह खबर आपके लिए अहम है। बाजार नियामक SEBI म्यूचुअल फंड स्कीमों में ब्रोकरेज फीस से जुड़े नियमों में संतुलित बदलाव करने पर विचार कर रहा है।
दरअसल, SEBI ने अक्टूबर में प्रस्ताव दिया था कि म्यूचुअल फंड हाउसेज़ ब्रोकरेज को जो फीस देते हैं, उसे 12 बेसिस प्वाइंट (0.12%) से घटाकर 2 बेसिस प्वाइंट (0.02%) कर दिया जाए। इस कदम का उद्देश्य था:
- म्यूचुअल फंड स्कीमों की लागत कम करना
- निवेशकों के नेट रिटर्न बढ़ाना
- फीस स्ट्रक्चर में पारदर्शिता लाना
लेकिन ब्रोकरेज और फंड हाउसेज़ ने इस पर आपत्ति जताई। उनका कहना है कि इतनी कम फीस पर रिसर्च रिपोर्ट और विश्लेषण कर पाना मुश्किल होगा, जिससे स्टॉक सिलेक्शन की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। आखिरकार इससे फंड की परफॉर्मेंस और निवेशकों के रिटर्न पर असर पड़ सकता है।
अब SEBI इस प्रस्ताव की रीव्यू कर रहा है और इंडस्ट्री के साथ बातचीत में है ताकि निवेशक और फंड मैनेजर दोनों के हितों का संतुलन बनाया जा सके। माना जा रहा है कि अंतिम रूप से ब्रोकरेज फीस की नई सीमा 2 बेसिस प्वाइंट से कुछ अधिक हो सकती है, जिससे दोनों पक्षों को राहत मिले।
निवेशकों के लिए मायने
अगर फीस उचित स्तर पर कम होती है, तो फंड की लागत घटेगी और रिटर्न बेहतर हो सकता है लेकिन अगर फीस बहुत ज्यादा घटाई जाती है, तो रिसर्च कमजोर होने का जोखिम है, जिससे फंड की परफॉर्मेंस पर असर पड़ सकता है। SEBI और उद्योग के बीच बातचीत मिड-नवंबर तक पूरी होने की उम्मीद है। इसके बाद नया नियम तय होगा और आने वाले महीनों में इसका प्रभाव म्यूचुअल फंड स्कीमों के एक्सपेंस रेशियो में देखा जा सकेगा।