दिवाली पर निकलेगा चीनी लड़ियों का दिवाला

Edited By Updated: 09 Oct, 2017 11:09 AM

china lights now challenge from indian manufacturers

इस साल दिवाली पर भारतीय विनिर्माता भी चीन की लड़ियों या झालरों को चुनौती देने के लिए बाजार में उतर आए हैं।

नई दिल्ली: इस साल दिवाली पर भारतीय विनिर्माता भी चीन की लड़ियों या झालरों को चुनौती देने के लिए बाजार में उतर आए हैं। माना जा रहा है कि इससे लड़ियों, एल.ई.डी. बल्ब और डैकोरेटिव लाइटों के बाजार पर ‘ड्रैगन’ का दबदबा कुछ कम होगा,  हालांकि, कीमतों के मोर्चे पर चुनौती बरकरार है। व्यापारियों के अनुसार पिछले साल दिवाली पर चीनी सामान के बहिष्कार का अभियान चलने से चीन की लड़ियों की बिक्री करीब 20 प्रतिशत तक कम हुई थी।

लाइटिंग उत्पादों का आयात किया कम 
इस साल डोकलाम विवाद के परिप्रेक्ष्य में व्यापारियों ने पहले से सावधानी बरतते हुए चाइनीज लड़ियों और अन्य लाइटिंग उत्पादों का आयात कम किया है। स्थिति को भांपते हुए कई स्थानीय विनिर्माताओं ने भी बाजार में देश में बनी लड़ियों, बिजली वाली मोमबत्ती और दीए उतार दिए हैं। देश के प्रमुख थोक बाजार सदर बाजार के व्यापारियों का कहना है कि चीन से आयात के लिए चार-पांच महीने पहले आर्डर देना पड़ता है। लंबे समय से डोकलाम विवाद की वजह से उन्होंने माल अटकने की आशंका में काफी कम आर्डर दिए हैं। यही नहीं पिछले साल चीन से आयात किया गया काफी माल बच गया था, जिसे वे अबकी दिवाली खपाने का प्रयास करेंगे।

50 प्रतिशत कमी आने के आसार
दिल्ली व्यापार महासंघ के अध्यक्ष देवराज बवेजा बताते हैं कि पिछले साल चीन के सामान के बहिष्कार को लेकर अभियान की वजह से चाइनीज लड़ियों की मांग 20 प्रतिशत तक घटी थी, इस बार इसमें 50 प्रतिशत तक कमी आने के आसार हैं। बवेजा कहते हैं कि पिछले साल व्यापारियों ने थोक में चाइनीज उत्पादों का आयात किया था, लेकिन बहिष्कार की वजह से उनका काफी माल निकल नहीं पाया था। हालांकि, इसके साथ ही बवेजा का यह भी कहना है कि कीमतों के मामले में आज भी भारतीय विनिर्माता चीन का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं हैं, जिससे कारोबारियों को चाइनीज लडिय़ां और अन्य लाइटिंग उत्पाद बेचने पड़ते हैं।
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कीमतों के मोर्चे पर चीन का मुकाबला करना मुश्किल
सदर बाजार में इलैक्ट्रिकल सामान का कारोबार करने वाले मुकुंद शाह कहते हैं कि चाइनीज झालरों की कीमत जहां 20-30 रुपए से शुरू हो जाती है और 500 रुपए तक जाती है। वहीं भारतीय लड़ियों की शुरूआत 60-70 रुपए से होती है। कीमतों के मोर्चे पर चीन का मुकाबला करना मुश्किल है। सदर बाजार के कारोबारी तुलसीदास शर्मा कहते हैं कि इस बार दिवाली पर बेचने के लिए चीन से लड़ियों और अन्य लाइटिंग उत्पादों का आयात 40 प्रतिशत तक कम हुआ है। इसके अलावा ग्राहक भी अब भारत में बनी लड़ियों की मांग करते हैं, जिसकी वजह से हम दोनों तरह का माल बेच रहे हैं। प्रमुख लाइटिंग समाधान कंपनी एन.टी.एल. लेमनिस के कार्यकारी निदेशक तुषार गुप्ता कहते हैं कि कभी दिवाली पर 80 प्रतिशत लाइटिंग बाजार पर ड्रैगन का कब्जा जरूर था, लेकिन अब धीरे-धीरे स्थिति बदल रही है। इस साल यह आंकड़ा काफी नीचे आ गया है। 

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