Copper Prices: अमेरिका की खबर से हिला कॉपर बाजार, ग्लोबल मार्केट से MCX तक रिकॉर्ड रैली

Edited By Updated: 29 Dec, 2025 11:54 AM

copper creates a sensation record rally due to supply crunch and us tariff fear

साल खत्म होने से ठीक पहले ग्लोबल कमोडिटी मार्केट में तांबे ने ऐसी रफ्तार पकड़ी है, जिसने निवेशकों से लेकर इंडस्ट्री तक सभी को चौंका दिया है। लंदन मेटल एक्सचेंज (LME) पर कॉपर के दाम 13,000 डॉलर प्रति टन के रिकॉर्ड स्तर के बेहद करीब पहुंच गए हैं। यह...

बिजनेस डेस्कः साल खत्म होने से ठीक पहले ग्लोबल कमोडिटी मार्केट में तांबे ने ऐसी रफ्तार पकड़ी है, जिसने निवेशकों से लेकर इंडस्ट्री तक सभी को चौंका दिया है। लंदन मेटल एक्सचेंज (LME) पर कॉपर के दाम 13,000 डॉलर प्रति टन के रिकॉर्ड स्तर के बेहद करीब पहुंच गए हैं। यह तेजी अचानक नहीं आई, बल्कि इसके पीछे सप्लाई संकट, अमेरिका की ट्रेड पॉलिसी को लेकर आशंकाएं और मजबूत डिमांड जैसे कई फैक्टर एक साथ काम कर रहे हैं।

इन ग्लोबल संकेतों का असर भारतीय बाजार पर भी साफ दिखा। MCX पर कॉपर के भाव 7.9% उछलकर अपर सर्किट पर लॉक हो गए, जबकि निकल (Nickel) में भी करीब 8% की तूफानी तेजी देखी गई और वह भी अपर सर्किट पर पहुंच गया।

MCX पर कॉपर ने बनाया नया हाई

29 दिसंबर 2025 को MCX पर कॉपर के भाव करीब ₹88.70 प्रति किलो बढ़कर ₹1,259.30 से ₹1,348 प्रति किलो पर पहुंच गए। इंट्राडे कारोबार में कीमतें ₹1,372.60 प्रति किलो तक गईं, जहां कॉपर अपर सर्किट पर लॉक हो गया।

इस तेजी का असर शेयर बाजार में भी देखने को मिला। Hindustan Copper और Madhav Copper जैसे स्टॉक्स 10% से 29% तक उछलकर अपर सर्किट पर बंद हुए। साल 2025 में अब तक कॉपर करीब 41.67% की तेजी दिखा चुका है, जो इसे साल का सबसे ज्यादा बढ़त देने वाला बेस मेटल बनाता है। बाजार में 2026 के लिए कॉपर का टारगेट $6 प्रति पाउंड (करीब $12,000 प्रति टन के बराबर) बताया जा रहा है।

छुट्टियों के बाद खुला बाजार, तांबा दौड़ पड़ा

लंदन में दो दिन की छुट्टियों के बाद जैसे ही ट्रेडिंग शुरू हुई, तांबे की कीमतों में जोरदार उछाल आया। एक ही दिन में कॉपर 6% से ज्यादा चढ़कर $12,960 प्रति टन तक पहुंच गया। दिसंबर महीने में ही तांबा 15% से ज्यादा चढ़ चुका है, जिससे यह साफ हो गया कि यह सिर्फ एक दिन की तेजी नहीं, बल्कि पूरे महीने की मजबूत रैली का नतीजा है।

अमेरिका की ट्रेड पॉलिसी ने बढ़ाई चिंता

इस रैली की बड़ी वजह अमेरिका की संभावित ट्रेड पॉलिसी है। बाजार में आशंका है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगले साल के मध्य में रिफाइंड कॉपर पर इम्पोर्ट टैरिफ लगा सकते हैं। इसी डर के चलते दुनियाभर से तांबा तेजी से अमेरिका भेजा जा रहा है।

इसका नतीजा यह हुआ कि अमेरिका के बाहर बाकी बाजारों में कॉपर का स्टॉक घटने लगा, जिससे ग्लोबल सप्लाई और टाइट हो गई और कीमतें तेजी से ऊपर चढ़ गईं।

सप्लाई संकट और बढ़ती डिमांड

साल 2025 तांबे के लिए पहले से ही चुनौतीपूर्ण रहा है। दुनिया के कई हिस्सों में अनप्लान्ड माइन आउटेज, खदानों का बंद रहना और उम्मीद से कम प्रोडक्शन ने सप्लाई पर दबाव बनाया। वहीं स्मेल्टर्स पर बढ़ते खर्च और ऑपरेशनल दबाव के कारण रिफाइंड कॉपर की उपलब्धता भी सीमित रही।

दूसरी ओर रिन्यूएबल एनर्जी, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और पावर ग्रिड्स में तांबे की मांग लगातार बढ़ती रही। कमजोर सप्लाई और मजबूत डिमांड के इस कॉम्बिनेशन में अमेरिका वाला फैक्टर जुड़ते ही कीमतों में आग लग गई।

क्या तेजी उम्मीदों से ज्यादा आगे निकल गई?

हालांकि, कुछ एक्सपर्ट इस तेजी को लेकर सतर्क भी हैं। Minmetals Futures Co. के बेस मेटल्स रिसर्च हेड वू कुंजिन के मुताबिक मौजूदा तेजी काफी हद तक उम्मीदों पर टिकी है। ऊंची कीमतों के चलते चीन में कुछ फैब्रिकेशन प्लांट्स ने प्रोडक्शन घटा दिया है, जबकि कुछ ने अस्थायी तौर पर काम रोक भी दिया है।

चीन दुनिया का सबसे बड़ा कॉपर उपभोक्ता है। अगर वहां से मांग में नरमी आती है, तो कीमतों की रफ्तार पर ब्रेक लग सकता है।

न्यूयॉर्क और लंदन के दामों में फर्क

लंदन में जहां कॉपर $12,900 के आसपास कारोबार कर रहा है, वहीं न्यूयॉर्क के COMEX पर कीमतें पहले से ऊंचे स्तर पर बनी हुई हैं। बाजार अमेरिका में संभावित टैरिफ को पहले ही कीमतों में शामिल कर चुका है। यही वजह है कि ट्रेड फ्लो अमेरिका की ओर शिफ्ट हो रहा है।

 

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