RTI के तहत खुलासा, बंद हुई 2000 रुपए के नोट की छपाई

Edited By Supreet Kaur,Updated: 15 Oct, 2019 09:08 PM

disclosure under rti printing of 2000 rupee note closed

आप परेशान होंगे कि कुछ माह से ए.टी.एम. से 2000 के नोट क्यों नहीं निकल रहे। केन्द्रीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) ने एक आर.टी.आई. तहत इस बात का खुलासा किया कि बड़े नोटों की छपाई बंद कर दी गई है।

नई दिल्लीः आप परेशान होंगे कि कुछ माह से ए.टी.एम. से 2000 के नोट क्यों नहीं निकल रहे। केन्द्रीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) ने एक आर.टी.आई. तहत इस बात का खुलासा किया कि बड़े नोटों की छपाई बंद कर दी गई है।

भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड (बी.आर.बी.एन.एम.पी.एल.) के एक अधिकारी ने बताया कि अब 2000 के नए नोट प्रिंट करने में कमी कर दी गई है। इसलिए बाजार में 2000 के नोटों की कमी है। बैंकों और लोगों द्वारा भी इनकी मांग घटी है। आम आदमी को अब इतने बड़े नोट की जरूरत नहीं है। इसकी जरूरत नोटबंदी के समय थी। उस वक्त बाजार में बड़े नोट चाहिए थे। अब 2000 के नोट से काला धन जमा होने की आशंका है। बता दें कि इस वर्ष की शुरूआत में बड़ी करंसी के नोटों की छपाई बंद करने की खबरें आई थीं लेकिन सरकार ने इससे इंकार कर दिया था।
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अब काले धन का लेन-देन होगा मुश्किल
अर्थशास्त्रियों ने कहा कि संभवत: उच्च मूल्य के नोटों को प्रचलन से हटाने से बहुत सारे काले धन का लेन-देन करना मुश्किल हो जाता है लेकिन यह नोटबंदी से बेहतर नीति है जो बहुत ही विघटनकारी थी। यहां आप कुछ भी बाधित नहीं कर रहे हैं। आप केवल सर्कुलेशन वापस ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई यूरोपीय देशों ने ऐसा किया है लेकिन भारत में हमारे पास एक बहुत बड़ा अनौपचारिक और एक कृषि क्षेत्र है जो हमें नकद समृद्ध करता है। कुल संचलन के मूल्य को बनाए रखा जा रहा है और बहुत समस्या नहीं होगी। अर्थशास्त्री और लेखक शेर सिंह ने कहा है कि संभव है कि सरकार बहुत से नकदी या कालेधन वाले लोगों को रोकने का प्रयास कर रही है इसके अलावा सरकार ज्यादा से ज्यादा डिजीटल ट्रांजैक्शन चाहती है। 2000 के नोटों से जमाखोरी भी आसान होती है।
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2000 के नोटों पर लोगों की निर्भरता कम करना चाहती है सरकार
केन्द्रीय बैंक के आर.टी.आई में दिए जवाब के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान 3542.991 मिलियन के नोट छापे गए थे। हालांकि वर्ष 2017-18 में छपाई में काफी कमी आई और मात्र 111.507 मिलियन के नोट ही छापे गए जो 2018-19 में और कम होकर 46.690 मिलियन के नोट रह गए। वैसे भी सरकार इस तरह के इशारे तो करती ही रहती है कि 2000 के नोटों पर से धीरे-धीरे लोगों की निर्भरता को कम करना है।
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सरकार का बड़े नोट वापस लेने का कोई प्लान नहीं
भारतीय रिजर्व बैंक के कुछ सूत्रों से भी यह बात सामने आई थी कि आर.बी.आई. ने 2000 के नोटों की छपाई बंद कर दी है। यहां तक कि नवम्बर 2018 में एक आर.टी.आई. से भी ये पता चला था कि नासिक करंसी नोट प्रैस को 2000 के नोट छापने के आदेश नहीं मिले हैं। हालांकि यह भी कहा गया था कि सरकार का इसे वापस लेने का भी कोई प्लान नहीं है।

 

 

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