Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 Nov, 2025 03:53 PM

भारतीय रुपए (Indian Rupees) की मजबूती अब वैश्विक व्यापार में साफ दिखाई देने लगी है। पहले केवल 18 देशों के साथ रुपए में कारोबार होता था लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 34 हो गई है। इसका मतलब है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में रुपए का दायरा लगातार बढ़ रहा है।
बिजनेस डेस्कः भारतीय रुपए (Indian Rupees) की मजबूती अब वैश्विक व्यापार में साफ दिखाई देने लगी है। पहले केवल 18 देशों के साथ रुपए में कारोबार होता था लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 34 हो गई है। इसका मतलब है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में रुपए का दायरा लगातार बढ़ रहा है।
हाल ही में फॉरेक्स एक्सचेंज डीलर एसोसिएशन (FEDAI) के आंकड़े आरबीआई अधिकारियों और निर्यातकों की बैठक में साझा किए गए। निर्यातक मानते हैं कि रुपए का अंतरराष्ट्रीय उपयोग बढ़ने से डॉलर पर निर्भरता कम होगी, जिससे लेन-देन आसान होगा।
क्यों है यह फायदेमंद?
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया में भुगतान प्रणाली में बदलाव की जरूरत महसूस हुई, इस दौरान रुपए का अंतरराष्ट्रीयकरण और जरूरी हो गया।
रुपए में व्यापार बढ़ने से....
- लेन-देन की लागत कम होती है
- विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव का जोखिम घटता है
- निर्यातकों को कीमतों को लेकर स्थिरता मिलती है
- राजनीतिक हालातों का असर कम होता है
किन देशों के साथ हो रहा रुपए में व्यापार?
भारत अब कई बड़े और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ सीधे रुपए में लेन-देन कर रहा है। इनमें शामिल हैं- ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, जर्मनी, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, बेल्जियम, मिस्र, फिजी, रूस, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, यूएई, यूके और अमेरिका जैसे देश।
इसके अलावा कतर, ओमान, म्यांमार, मालदीव, केन्या, कज़ाकिस्तान, न्यूजीलैंड, बोत्सवाना, युगांडा सहित कई देशों ने भी रुपए में व्यापार की व्यवस्था अपनाई है।
भारतीय रुपए की इस बढ़ती स्वीकृति से यह स्पष्ट है कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की आर्थिक स्थिति लगातार मजबूत हो रही है और रुपया भविष्य में वैश्विक मुद्रा के रूप में और महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।