Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Jul, 2025 01:06 PM

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि 16वें वित्त आयोग को स्थानीय निकायों, नगर पालिकाओं और पंचायतों को अधिक धनराशि आवंटित करने पर ध्यान देना चाहिए ताकि वे लोगों के समक्ष पेश होने वाली समस्याओं से प्रभावी ढंग से निपट...
नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि 16वें वित्त आयोग को स्थानीय निकायों, नगर पालिकाओं और पंचायतों को अधिक धनराशि आवंटित करने पर ध्यान देना चाहिए ताकि वे लोगों के समक्ष पेश होने वाली समस्याओं से प्रभावी ढंग से निपट सकें। राजन ने कहा कि पिछले वित्त आयोगों ने राज्यों को अधिक धनराशि हस्तांतरित की थी। उन्होंने कहा, ‘‘अब हमें राज्यों से नगर पालिकाओं और पंचायतों आदि को धनराशि हस्तांतरित करने पर भी ध्यान देने की जरूरत है। हस्तांतरण का यह तीसरा स्तर होगा जिसकी हमें काफी आवश्यकता है।''
चीन और अमेरिका का उदाहरण देते हुए राजन ने कहा कि इन देशों में स्थानीय सरकारी कर्मचारियों की संख्या भारत में स्थानीय सरकारी कर्मचारियों की संख्या से काफी अधिक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत जैसे विशाल देश में, जिसका शासन मुख्यतः केन्द्र और राज्य की राजधानियों से संचालित होता है वहां अधिक विकेन्द्रीकरण की आवश्यकता है। ‘विकेंद्रीकरण' से तात्पर्य निर्णय लेने की शक्ति और प्रशासनिक जिम्मेदारियों को केंद्र सरकार से लेकर निचले स्तरों तक, जैसे राज्यों, जिलों, और स्थानीय निकायों (ग्राम पंचायत, नगर पालिका) तक बांटना है।
राजन ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि 16वें वित्त आयोग को प्रलोभन और दंड के माध्यम से इसे संभव बनाने पर ध्यान देना चाहिए।'' हाल ही में 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा था कि अधिकतर राज्यों ने सिफारिश की है कि केंद्र को कर राजस्व वितरण में उनकी हिस्सेदारी बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर देनी चाहिए। राज्यों को वर्तमान में विभाज्य कर पूल का 41 प्रतिशत हासिल होता है, जबकि शेष 59 प्रतिशत केंद्र के पास रहता है।
भारतीय संविधान द्वारा अधिदेशित वित्त आयोग, नगर पालिकाओं (शहरी स्थानीय निकायों) की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह नगरपालिकाओं की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करता है तथा राजकोषीय हस्तांतरण के विभिन्न पहलुओं पर राज्य सरकारों को सिफारिशें भेजता है। उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के बारे में उनका आकलन पूछे जाने पर, राजन ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि हमारे पास पीएलआई योजना का मूल्यांकन करने के लिए कोई ठोस सार्वजनिक आंकड़े हैं।''
उन्होंने कहा कि सभी सरकारी कार्यक्रमों की तरह इसमें भी कुछ सफलता मिली है क्योंकि भारत अब अधिक मोबाइल फोन निर्यात कर रहा है। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में वर्तमान में वित्त के प्रोफेसर राजन ने कहा, ‘‘लेकिन क्या इसने (पीएलआई योजना ने) नौकरियों में बड़े पैमाने पर बदलाव लाने के लिए पर्याप्त काम किया है? मुझे लगता है कि कम से कम... आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) में आप जो नौकरियों के आंकड़े देखते हैं, वे अभी तक ऐसा नहीं होने का संकेत देते हैं।''
भारत की विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात को बढ़ाने के लिए 2021 में 1.97 लाख करोड़ रुपए के व्यय के साथ दूरसंचार, इलेक्ट्रॉनिक, दवा, कपड़ा और मोटर वाहन सहित 14 प्रमुख क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजना की घोषणा की गई थी। चीन के भारत और अन्य देशों को दुर्लभ खनिज के निर्यात पर रोक लगाने के बारे में पूछे जाने पर राजन ने कहा, ‘‘हमें विभिन्न उद्योगों के बारे में रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। यह पता लगाना होगा कि हमें कहां बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है और कहां उन बाधाओं को दूर करने के लिए उत्पादन शुरू करना हमारे लिए अपेक्षाकृत आसान है।'' राजन ने बताया कि कुछ क्षेत्रों में भारत के पास अधिक दुर्लभ खनिज का उत्पादन करने का अवसर है। उन्होंने कहा, ‘‘मिसाल के तौर पर मेरा मानना है कि कश्मीर में इन दुर्लभ खनिजों के कुछ भंडार हैं...।''