Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Dec, 2023 06:33 PM
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की तरफ से भारत की आर्थिक स्थिति की समीक्षा को लेकर जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में सरकारी कर्ज बढ़ता जा रहा है। इसमें कहा गया है कि 2028 तक भारत का कर्ज जीडीपी का 100 फीसदी हो सकता है। ऐसे हालात में कर्ज...
बिजनेस डेस्कः अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की तरफ से भारत की आर्थिक स्थिति की समीक्षा को लेकर जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में सरकारी कर्ज बढ़ता जा रहा है। इसमें कहा गया है कि 2028 तक भारत का कर्ज जीडीपी का 100 फीसदी हो सकता है। ऐसे हालात में कर्ज चुकाना मुश्किल हो जाएगा। हालांकि, अब भारत की तरफ से भी बयान जारी कर आईएमएफ की इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया गया है और इसे गलत बताया गया है।
वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि आईएमएफ की रिपोर्ट में कुछ अनुमान जताए गए हैं, जो तथ्यात्मक स्थिति को नहीं दिखाते हैं। मंत्रालय ने जिन प्रमुख मुद्दों को उठाया है, उसमें से एक ये है कि भारत का कर्ज (केंद्र और राज्य सरकार दोनों का कर्ज) रुपए में है। इसके अलावा बाहर से लिया जाने वाला कर्ज पूरे कर्ज का बहुत ही छोटा हिस्सा है। इसमें बताया गया कि घरेलू कर्ज के लिए रोलओवर जोखिम कम है, यानी इसे चुकाने के लिए कोई खतरा नहीं है।
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि जीडीपी के बराबर कर्ज होने की बात तब कही गई है, जब 'सदी में एक बार होने वाली आपदा आए जैसे कोविड-19' कोरोनावायरस महामारी रिपोर्ट में बताए गए अन्य प्रतिकूल हालातों में से एक है। मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया है कि इस मामले में आईएमएफ केवल सबसे खराब स्थिति के बारे में बात कर रहा था और ये कोई हैरानी वाली बात नहीं है।
मंत्रालय ने यह भी बताया कि अन्य देशों के लिए आईएमएफ की रिपोर्ट में बेहद की खराब हालातों को दिखाया गया है। जैसे अमेरिका में कर्ज उसकी जीडीपी के 160 फीसदी, ब्रिटेन में 140 फीसदी और चीन में 200 फीसदी तक पहुंच सकता है। इसने आगे कहा कि रिपोर्ट में इस बात की ओर भी इशारा किया गया है कि अगर हालात अनुकूल रहते हैं, तो इस अवधि में सरकारी कर्ज जीडीपी के 70 फीसदी तक गिर भी सकता है।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि कोविड-19 और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे झटकों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर समान रूप से प्रभाव डाला है। इसके बावजूद आईएमएफ ने कहा है कि बाकी देशों के मुकाबले भारत ने अपेक्षाकृत अच्छा प्रदर्शन किया है और अभी भी 2002 के कर्ज स्तर से नीचे है। इसने इस बात पर भी जोर दिया है कि सरकारी कर्ज काफी कम भी हुआ है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में ये 88 फीसदी था, तो वित्तीय वर्ष 2022-23 में 81 फीसदी हो गया।
IMF ने क्या कहा रिपोर्ट में?
भारतीय अधिकारियों के साथ एनुअल आर्टिकल IV पर परामर्श के बाद आईएमएफ ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में वित्तीय वर्ष 2028 तक देश का कर्ज जीडीपी के 100 फीसदी के बराबर हो जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार रुपए के मूल्य को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है। दिसंबर 2022 और अक्टूबर 2023 के बीच रुपए के मूल्य में बेहद छोटे दायरे में उतार-चढ़ाव आया। कुल मिलाकर इसमें भविष्य के आर्थिक अनुमानों की जानकारी दी गई है।