रूसी तेल की खरीद से भारत को महज 2.5 अरब डॉलर का शुद्ध वार्षिक लाभः रिपोर्ट

Edited By Updated: 28 Aug, 2025 04:31 PM

india gets only 2 5 billion net annual benefit from buying

रूस से रियायती दर पर कच्चा तेल आयात करने से भारत को होने वाला वार्षिक शुद्ध लाभ महज 2.5 अरब डॉलर है, जो पहले जताए गए 10 से 25 अरब डॉलर के अनुमान से बहुत कम है। एक शोध रिपोर्ट में यह आकलन पेश किया गया है। ब्रोकरेज कंपनी सीएलएसए की बृहस्पतिवार को जारी...

नई दिल्लीः रूस से रियायती दर पर कच्चा तेल आयात करने से भारत को होने वाला वार्षिक शुद्ध लाभ महज 2.5 अरब डॉलर है, जो पहले जताए गए 10 से 25 अरब डॉलर के अनुमान से बहुत कम है। एक शोध रिपोर्ट में यह आकलन पेश किया गया है। ब्रोकरेज कंपनी सीएलएसए की बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, "रूसी कच्चे तेल के आयात से भारत को होने वाला लाभ मीडिया में बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है। हमारे अनुमान के मुताबिक, यह लाभ भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का सिर्फ 0.06 प्रतिशत यानी करीब 2.5 अरब डॉलर है।" फरवरी, 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत ने रूस से तेल आयात तेजी से बढ़ाया है। 

वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने कुल 54 लाख बैरल प्रतिदिन तेल आयात में से 36 प्रतिशत यानी 18 लाख बैरल प्रतिदिन तेल को रूस से आयात किया। यूक्रेन युद्ध से पहले यह आंकड़ा एक प्रतिशत से भी कम था। रूस ने पश्चिमी देशों द्वारा तेल बिक्री पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद अपने तेल पर भारी छूट देना शुरू कर दिया था, जिससे भारत को सस्ते दर पर ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित हुई। हालांकि अमेरिका सहित कुछ देशों ने भारत की आलोचना करते हुए इसे मुनाफाखोरी बताया। हालांकि सीएलएसए ने कहा कि रूसी तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल की मूल्य सीमा दिखने में बड़ी रियायत नजर आती है लेकिन वास्तव में बीमा, जहाजरानी एवं पुनर्बीमा जैसी कई पाबंदियों के कारण भारत को यह लाभ काफी कम होता है। रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2023-24 में रूसी तेल पर औसत छूट 8.5 डॉलर प्रति बैरल थी जो 2024-25 में घटकर तीन-पांच डॉलर और हाल के महीनों में 1.5 डॉलर प्रति बैरल तक आ गई है। 

सीएलएसए ने आगाह किया है कि अगर भारत रूसी तेल आयात बंद करता है, तो इससे वैश्विक आपूर्ति बाधित होगी और कच्चे तेल की कीमत 90 से 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है, जिससे वैश्विक महंगाई बढ़ने की आशंका है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारतीय तेल कंपनियों को रूसी तेल के अधिक आयात के चलते बेहतर गुणवत्ता वाले और महंगे कच्चे तेल का भी मिश्रण करना पड़ता है। इसके कारण औसत आयात मूल्य में कोई स्पष्ट लाभ नहीं दिखता है। 

सीएलएसए की रिपोर्ट कहती है कि रूसी तेल आयात न केवल भारत के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से जरूरी है, बल्कि यह वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों पर भी नियंत्रण बनाए रखने में सहायक है। हालांकि अब यह मुद्दा आर्थिक के साथ राजनीतिक भी बन गया है, जहां भारत अपने व्यापारिक निर्णयों पर स्वतंत्र रुख अपनाए हुए है। अमेरिकी सरकार ने रूस से सस्ते तेल की खरीद जारी रखने को लेकर भारतीय उत्पादों के आयात पर शुल्क को 27 अगस्त से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है। 

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