Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Dec, 2025 12:28 PM

साल 2025 में सोना और चांदी ने निवेशकों को चौंकाने वाला रिटर्न दिया है और साल खत्म होने से पहले दोनों कीमती धातुएं लगातार नए रिकॉर्ड बना रही हैं लेकिन अब कमोडिटी मार्केट में एक नई धातु सुर्खियों में है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले वर्षों में...
बिजनेस डेस्कः साल 2025 में सोना और चांदी ने निवेशकों को चौंकाने वाला रिटर्न दिया है और साल खत्म होने से पहले दोनों कीमती धातुएं लगातार नए रिकॉर्ड बना रही हैं लेकिन अब कमोडिटी मार्केट में एक नई धातु सुर्खियों में है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले वर्षों में तांबा (Copper) इस बाजार का नया ‘किंग’ बन सकता है।
तांबा करने वाला है बड़ा धमाका
अब तक तांबे को एक स्थिर औद्योगिक धातु माना जाता रहा है लेकिन बदलते वैश्विक ट्रेंड इसे अगला बड़ा निवेश अवसर बना रहे हैं। RKB Ventures के फाउंडर राकेश बंसल का कहना है कि AI, इलेक्ट्रिफिकेशन, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV), ग्रीन एनर्जी और एनर्जी ट्रांजिशन से बढ़ती मांग तांबे की कीमतों को नए दौर में ले जा सकती है। उन्होंने कहा कि सप्लाई में लगातार आ रही बाधाएं और मांग में तेज बढ़ोतरी के चलते आने वाले कई वर्षों तक तांबे की कीमतों में मजबूती बनी रह सकती है।
सप्लाई की कमी लगाएगी कीमतों में आग
एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक तांबा बाजार में साल 2025 में करीब 1.24 लाख टन और 2026 में 1.50 लाख टन की कमी रहने का अनुमान है। यही कमी तांबे की कीमतों में तेज उछाल का सबसे बड़ा कारण मानी जा रही है। बंसल ने कहा कि बिजली के इस्तेमाल में संरचनात्मक बढ़ोतरी, ग्रिड, वायरिंग और इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चरिंग में तांबे की अहम भूमिका इसे रणनीतिक धातु बनाती है।
AI और EV बूम से बढ़ेगी डिमांड
एक्सपर्ट्स का मानना है कि एल्युमिनियम के साथ-साथ तांबे में भी आने वाले समय में और तेजी देखने को मिलेगी। AI डेटा सेंटर्स, इलेक्ट्रिफिकेशन और EV सेक्टर में तेज विकास के बिना तांबे की भूमिका अधूरी है। भारत में भी AI डेटा सेंटर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है और इसके लिए तांबे की भारी जरूरत है। भारत में तांबे का एकमात्र प्रमुख उत्पादक हिंदुस्तान कॉपर है, जिससे सप्लाई सीमित बनी हुई है।
‘अब तांबे की बारी करोड़पति बनाने की’
राकेश बंसल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि सोना-चांदी के बाद अब तांबे की बारी है। उनके मुताबिक, सप्लाई की कमी + AI डेटा सेंटर्स + EVs + ग्रीन एनर्जी का कॉम्बिनेशन तांबे की कीमतों को अभूतपूर्व ऊंचाई तक ले जा सकता है। उन्होंने कहा कि तांबा भी अब एक मजबूत निवेश विकल्प बनता जा रहा है क्योंकि इसकी मांग वास्तविक है, सट्टा नहीं।
ग्लोबल मार्केट में भी तांबे की चमक
AI डेटा सेंटर्स से बढ़ती मांग और सीमित सप्लाई के कारण तांबे की कीमतें 12,000 डॉलर प्रति मीट्रिक टन के करीब पहुंच रही हैं। इस साल अब तक तांबे की कीमतों में करीब 35% की तेजी आई है, जो 2009 के बाद सबसे बड़ी बढ़त मानी जा रही है।
इन्वेस्टमेंट बैंक मैक्वेरी का अनुमान है कि 2026 में वैश्विक तांबे की मांग 27 मिलियन टन तक पहुंच सकती है, जो 2024 के मुकाबले 2.7% ज्यादा होगी। इसमें अकेले चीन की मांग में 3.7% की बढ़ोतरी शामिल है।