Edited By jyoti choudhary,Updated: 22 Oct, 2025 12:02 PM

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Meity) ने भारी उद्योग मंत्रालय (MHI) को सुझाव दिया है कि रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (REPM) के लिए प्रस्तावित प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना में पुराने मैग्नेट की रीसाइक्लिंग को भी शामिल किया जाए।...
बिजनेस डेस्कः इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Meity) ने भारी उद्योग मंत्रालय (MHI) को सुझाव दिया है कि रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (REPM) के लिए प्रस्तावित प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना में पुराने मैग्नेट की रीसाइक्लिंग को भी शामिल किया जाए। भारत पहले से ही दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा ई-वेस्ट उत्पादक देश है।
क्यों जरूरी है रीसाइक्लिंग
Meity के अनुसार, भारत 2070 तक कार्बन न्यूट्रल बनने का लक्ष्य रखता है और इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की ओर तेजी से बढ़ रहा है। इस बढ़ती मांग के साथ ई-वेस्ट की मात्रा भी बढ़ेगी, जिसमें उपयोग हो चुके REPMs भी शामिल होंगे। रीसाइक्लिंग से रेयर अर्थ मैग्नेट की स्थायी सप्लाई सुनिश्चित होगी और आयात पर निर्भरता कम होगी।
उद्योग पर असर
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, भारत की अधिकांश मोबाइल निर्माता कंपनियां पहले से ही रीसाइक्ल किए गए मैग्नेट का उपयोग कर रही हैं। लेकिन चीन ने अप्रैल 2025 से इन मैग्नेट्स की सप्लाई पर रोक लगाई, जिससे ईयरफोन, हेडफोन और स्मार्टवॉच जैसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बनाने वाली कंपनियों को थोड़ी दिक्कत झेलनी पड़ी। हालाँकि, कंपनियों ने जल्द ही नई सप्लाई चैन तैयार कर ली, जिससे उत्पादन पर असर सीमित रहा।
भारत में ई-वेस्ट की स्थिति
ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर 2022 के अनुसार, भारत ने साल 2022 में लगभग 4.17 मिलियन टन ई-वेस्ट उत्पन्न किया, जिससे यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ई-वेस्ट उत्पादक देश बन गया।
PLI योजना में प्रस्ताव
भारी उद्योग मंत्रालय की प्रस्तावित PLI योजना के तहत भारत में 5 मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बनाए जाएंगे, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 6,000 टन प्रति वर्ष होगी। योजना में प्राइवेट कंपनियों को पूंजी सब्सिडी और बिक्री आधारित प्रोत्साहन दिए जाएंगे। Meity चाहता है कि इसमें रीसाइक्लिंग भी शामिल की जाए ताकि काम सही और संगठित तरीके से किया जा सके लेकिन MHI का कहना है कि रीसाइक्लिंग का विषय खनन मंत्रालय के अंतर्गत आता है, इसलिए इसे योजना में शामिल करना संभव नहीं है।
चीन की पाबंदी का प्रभाव
अप्रैल 2025 से चीन ने भारत को REPM निर्यात पर रोक लगाई है, जिससे भारतीय ऑटो उद्योग, खासकर EVs के ट्रैक्शन मोटर्स के उत्पादन पर असर पड़ा है। दुनिया के करीब 90% REPM चीन में बनते हैं।
ICEA की चेतावनी
इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) ने कहा है कि REPM की सप्लाई में देरी होने पर इलेक्ट्रिक वाहन, सेमीकंडक्टर और रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टर प्रभावित हो सकते हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन $138 अरब तक पहुंच गया, जिसमें मोबाइल फोन $64 अरब का योगदान दे रहे हैं।