अनिल अंबानी को राहतः अगले साल कर्जमुक्त होगी रिलायंस इंफ्रा, जीता 1250 करोड़ का केस!

Edited By Updated: 23 Dec, 2019 11:19 AM

reliance infra to be debt free next year for anil ambani

रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) के खिलाफ 1,250 करोड़ रुपए से अधिक के आर्बिट्रेशन मामले में जीत हासिल की है। अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के एग्जिक्यूटिव ने बताया कि इस रकम का इस्तेमाल कर्ज घटाने...

नई दिल्लीः रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) के खिलाफ 1,250 करोड़ रुपए से अधिक के आर्बिट्रेशन मामले में जीत हासिल की है। अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के एग्जिक्यूटिव ने बताया कि इस रकम का इस्तेमाल कर्ज घटाने के लिए किया जाएगा। कंपनी का लक्ष्य अगले वर्ष कर्ज मुक्त बनने का है।

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रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रवक्ता ने कहा, 'आर्बिट्रेशन ट्राइब्यूनल का फैसला कंपनी का पक्ष सही होने की पुष्टि करता है। देश की इंजिनियरिंग और कंस्ट्रक्शन कंपनियों को उनकी बकाया रकम समय पर मिलना जरूरी है, जिससे वे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स में हिस्सा ले सकेंगी और उन्हें वर्किंग कैपिटल की समस्या नहीं होगी।'

यह मामला पश्चिम बंगाल में डीवीसी के 1,200 मेगावॉट के रघुनाथपुर थर्मल पावर प्रॉजेक्ट से जुड़ा है। इस प्रॉजेक्ट की कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू 3,750 करोड़ रुपए थी। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर इसमें इंजिनियरिंग और कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्टर थी। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने बताया कि तीन सदस्यीय आर्बिट्रेशन ट्राइब्यूनल ने कहा है कि डीवीसी को विभिन्न क्लेम के लिए रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को 898 करोड़ रुपए चुकाने होंगे। इसके साथ ही ट्राइब्यूनल ने डीवीसी को चार सप्ताह के अंदर 356 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी भी रिलीज करने का निर्देश दिया है।

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रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने कहा कि वह बैंक गारंटी के बदले आर्बिट्रेशन के फैसले का 75 फीसदी भुगतान डीवीसी से तुरंत करने का निवेदन करेगी। यह इस मुद्दे पर नीति आयोग के एक सर्कुलर के अनुसार है। दोनों कंपनियों के बीच विवाद के कारण यह मामला दो वर्ष से आर्बिट्रेशन में था। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने 2007 में 600 मेगावॉट प्रत्येक की दो यूनिट क्रमश: 35 और 38 महीनों में तैयार करने का ऑर्डर हासिल किया था। जमीन उपलब्ध न होने और स्थानीय लोगों के विरोध के कारण इस प्रॉजेक्ट में देरी हुई थी। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने प्रोजेक्ट को पूरा करने में मुश्किलों के कारण डीवीसी से क्लेम देने की मांग की थी। डीवीसी ने निर्धारित समय में प्रॉजेक्ट पूरा न करने के कारण रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर से हर्जाना मांगा था।

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