डिजिटल पेमेंट से घबराए दुकानदार, रेहड़ी-पटरी वालों ने कहा UPI को No, जानें क्या है GST का नियम

Edited By Updated: 18 Jul, 2025 04:51 PM

shopkeepers street vendors said no to upi know what is the rule of gst

बेंगलुरु शहर के कई छोटे दुकानदारों ने डिजिटल पेमेंट खासकर यूपीआई से भुगतान लेने से इनकार कर दिया है। अब दुकान पर साफ-साफ बोर्ड लगाए जा रहे हैं – "कोई UPI नहीं, केवल कैश!" इस कदम ने आम लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं और एक बार फिर कैश को 'किंग' बना...

बिजनेस डेस्कः बेंगलुरु शहर के कई छोटे दुकानदारों ने डिजिटल पेमेंट खासकर यूपीआई से भुगतान लेने से इनकार कर दिया है। अब दुकान पर साफ-साफ बोर्ड लगाए जा रहे हैं – "कोई UPI नहीं, केवल कैश!" इस कदम ने आम लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं और एक बार फिर कैश को 'किंग' बना दिया है। कैश के इस खेल में छोटे दुकानदार ही नहीं, रेहड़ी-पटरी वाले और वेंडर्स भी शामिल हो गए हैं। आखिर इस कदम के पीछे उनका मकसद क्‍या है।

डिजिटल पेमेंट से डर क्यों?

दुकानदारों का कहना है कि डिजिटल ट्रांजैक्शन करने पर जीएसटी विभाग की नजर उन पर पड़ती है और टैक्स नोटिस भेजे जाते हैं। कई दुकानदारों को लाखों रुपए के नोटिस मिल चुके हैं, जिससे डर का माहौल बन गया है।

क्‍या कहता है जीएसटी का नियम

जीएसटी के नियम को देखें तो इसमें साफ कहा गया है कि अगर किसी कारोबार का टर्नओवर 40 लाख रुपए से अधिक है तो उसे जीएसटी के तहत पंजीकरण कराना होगा और इसका भुगतान भी करना होगा। सर्विस सेक्‍टर से जुड़े कारोबारियों को 20 लाख रुपए के सालाना टर्नओवर पर ही पंजीकरण कराना और जीएसटी भुगतान करना जरूरी होगा। कॉरेपोरेट टैक्‍स विभाग ने भी स्‍पष्‍ट किया है कि इस नियम से दुकानदारों को डरने की जरूरत नहीं है। जीएसटी नोटिस सिर्फ उन्‍हीं कारोबारियों को जारी किया गया है, जिनका टर्नओवर तय लिमिट से ज्‍यादा रहा है। ऐसे कारोबारियों को जीएसटी के तहत पंजीकरण कराना जरूरी है।

कैश की वापसी का डर

एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर इस स्थिति को ठीक से नहीं संभाला गया तो दूसरे राज्यों के दुकानदार भी डिजिटल पेमेंट से दूरी बना सकते हैं, जिससे डिजिटल इकनॉमी का सपना पीछे छूट सकता है।

टैक्स विभाग की सफाई 

कर्नाटक टैक्स विभाग ने स्पष्ट किया है कि जीएसटी नोटिस सिर्फ यूपीआई से किए गए लेनदेन पर नहीं, बल्कि पॉइंट ऑफ सेल मशीन, बैंक ट्रांसफर और अन्य डिजिटल माध्यमों से हुए सभी ट्रांजैक्शनों को मिलाकर जारी किया जाता है। सिर्फ यूपीआई से दूरी बनाकर दुकानदार जीएसटी से नहीं बच सकते। विभाग का कहना है कि अगर किसी व्यापारी का सालाना टर्नओवर 40 लाख रुपए से अधिक है, तो उसे जीएसटी के तहत पंजीकरण कराना और टैक्स देना अनिवार्य है। इसलिए छोटे व्यापारियों को यह गलतफहमी नहीं पालनी चाहिए कि डिजिटल पेमेंट बंद करने से वे टैक्स से बच जाएंगे।

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