Edited By jyoti choudhary,Updated: 01 Nov, 2025 10:28 AM

दुकान से खरीदारी करने से लेकर घर का बिल भरने तक, आज लगभग हर भुगतान यूपीआई (UPI) के जरिए होने लगा है। अब इसी यूपीआई सिस्टम में 3 नवंबर 2025 से नए नियम लागू होने जा रहे हैं। नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने इन बदलावों को लागू किया है ताकि...
बिजनेस डेस्कः दुकान से खरीदारी करने से लेकर घर का बिल भरने तक, आज लगभग हर भुगतान यूपीआई (UPI) के जरिए होने लगा है। अब इसी यूपीआई सिस्टम में 3 नवंबर 2025 से नए नियम लागू होने जा रहे हैं। नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने इन बदलावों को लागू किया है ताकि डिजिटल ट्रांजेक्शन प्रक्रिया और तेज़ व सुरक्षित हो सके।
अब तक यूपीआई में रोजाना 10 सेटलमेंट साइकल RTGS के माध्यम से चलते थे, जिनमें सभी तरह के ट्रांजेक्शन सही (Authorized) और विवादित (Dispute) एक साथ प्रोसेस किए जाते थे। ट्रांजेक्शन की बढ़ती संख्या के कारण इन प्रोसेस में देरी हो रही थी। इसलिए अब एनपीसीआई ने दोनों प्रकार के ट्रांजेक्शन को अलग-अलग साइकल में विभाजित करने का निर्णय लिया है।
नई व्यवस्था के तहत अब 10 साइकल केवल ऑथराइज्ड ट्रांजेक्शन के लिए होंगे। इनमें कोई विवादित ट्रांजेक्शन शामिल नहीं होगा। इन साइकल की टाइमिंग इस प्रकार रहेगी—पहला साइकल रात 9 बजे से मिडनाइट तक, दूसरा मिडनाइट से सुबह 5 बजे तक, तीसरा 5 से 7 बजे, चौथा 7 से 9 बजे, पांचवां 9 से 11 बजे, छठा 11 से 1 बजे दोपहर, सातवां 1 से 3 बजे, आठवां 3 से 5 बजे, नौवां 5 से 7 बजे शाम और दसवां 7 से 9 बजे रात तक चलेगा। पुरानी आरटीजीएस कट-ऑफ या पोस्टिंग टाइमिंग में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
वहीं, डिस्प्यूट ट्रांजेक्शन यानी विवादित लेन-देन के लिए अब दो अलग साइकल होंगे। पहला "डीसी1" (DC1) मिडनाइट से दोपहर 4 बजे तक और दूसरा "डीसी2" (DC2) दोपहर 4 बजे से मिडनाइट तक रहेगा। इन दोनों साइकल में केवल विवादित ट्रांजेक्शन ही प्रोसेस किए जाएंगे। अन्य सभी नियम जैसे टाइमिंग, रिकंसिलिएशन और जीएसटी रिपोर्ट पहले की तरह ही रहेंगे।
इस बदलाव से क्या फायदा?
फिनटेक कंपनी कीवी (Kiwi) के को-फाउंडर सिद्धार्थ मेहता ने कहा कि यह बदलाव डिजिटल पेमेंट सिस्टम को और अधिक भरोसेमंद और स्केलेबल बनाएगा। अब रेगुलर ट्रांजेक्शन विवादित ट्रांजेक्शन से अलग प्रोसेस होंगे, जिससे रिफंड प्रक्रिया तेज और पारदर्शी होगी। बैंकों और फिनटेक कंपनियों को इससे बेहतर स्पष्टता मिलेगी, जिससे वे क्रेडिट ऑन यूपीआई, बीएनपीएल और ईएमआई जैसी नई सेवाएं आसानी से शुरू कर सकेंगे।
कुल मिलाकर, एनपीसीआई का यह कदम यूपीआई को भारत की तेजी से बढ़ती डिजिटल पेमेंट जरूरतों के अनुरूप और अधिक सुरक्षित, भरोसेमंद व प्रभावी बनाएगा।