Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Jul, 2025 04:49 PM

कच्चे तेल को अक्सर "काला सोना" कहा जाता है, क्योंकि यह वैश्विक अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। इससे पेट्रोल, डीजल, प्लास्टिक, केमिकल्स और कई अन्य उत्पाद बनाए जाते हैं, जो औद्योगिक और घरेलू क्षेत्रों में व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं। यही वजह...
बिजनेस डेस्कः कच्चे तेल को अक्सर "काला सोना" कहा जाता है, क्योंकि यह वैश्विक अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। इससे पेट्रोल, डीजल, प्लास्टिक, केमिकल्स और कई अन्य उत्पाद बनाए जाते हैं, जो औद्योगिक और घरेलू क्षेत्रों में व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं। यही वजह है कि इस संसाधन पर नियंत्रण को लेकर दुनिया भर के देशों के बीच रणनीतिक प्रतिस्पर्धा बनी रहती है।
तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक (OPEC) के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया का सबसे बड़ा ज्ञात कच्चे तेल का भंडार वेनेजुएला के पास है। दक्षिण अमेरिका का यह देश 303 अरब बैरल के ऑयल रिजर्व के साथ शीर्ष पर है, जो दुनिया के कुल भंडार का 17.3% है।
शीर्ष पर कौन-कौन हैं?
- वेनेजुएला – 303 अरब बैरल (17.3%)
- सऊदी अरब – 267 अरब बैरल (15.2%)
- ईरान – 209 अरब बैरल (11.9%)
- कनाडा – 163 अरब बैरल (9.3%)
- इराक – 145 अरब बैरल (8.3%)
- यूएई – 113 अरब बैरल
- कुवैत – 102 अरब बैरल
- रूस – 80 अरब बैरल
- अमेरिका – 74 अरब बैरल
- लीबिया – 48 अरब बैरल
इन देशों में से वेनेजुएला और ईरान पेट्रोल की सबसे कम कीमतों वाले देशों में शामिल हैं।
अमेरिका सबसे बड़ा उत्पादक, पर भंडार सीमित
वर्तमान में अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा कच्चे तेल का उत्पादक और उपभोक्ता है, लेकिन उसके पास अन्य आठ देशों की तुलना में छोटा भंडार है। इसकी भरपाई के लिए अमेरिका को अपने घरेलू उत्पादन को लगातार बनाए रखना पड़ता है।
भारत: 85% कच्चे तेल के लिए आयात पर निर्भर
भारत की बात करें तो यह अपनी कुल आवश्यकता का लगभग 85% कच्चा तेल आयात करता है। यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है, जिससे दोनों देशों के बीच ऊर्जा सहयोग और अधिक गहरा हुआ है।