Sawan Special: सिर्फ नाम जपने से बदल सकती है किस्मत, जानिए 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में

Edited By Updated: 20 Jul, 2025 07:00 AM

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Sawan Special: सावन का महीना चल रहा है। हर कोई जानता है कि सावन का भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना जाता है और इस महीने में भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फलो की प्राप्ति होती है। ऐसे में लोग घर और मंदिरों में विशेष रुप से पूजा अर्चना करते...

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Sawan Special: सावन का महीना चल रहा है। हर कोई जानता है कि सावन का भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना जाता है और इस महीने में भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फलो की प्राप्ति होती है। ऐसे में लोग घर और मंदिरों में विशेष रुप से पूजा अर्चना करते हैं, साथ ही शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करते हैं। शिवलिंग भगवान शिव के ही लिंग रुप है। भगवान शिव के कुछ शिवलिंग स्थापित किए गए हैं तो वहीं संसार में कुछ शिवलिंग ऐसे है जो स्वयंभू है यानी जो स्वयं प्रकट हुए हो। ऐसे में भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के बारे लोग जानते तो होंगे लेकिन उनकी स्थापना कैसे हुई शायद ही इनके बारे में ज्यादा लोग जानते हों। कहा जाता है इन ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही जातक को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। मान्यता है कि जो भी जातक हर रोज़ इन ज्योतिर्लिंग के नाम का जाप करता है उस जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। 
 
बता दें कि भारत में भगवान शिव के कुल 12 ज्योतिर्लिंग है जो अलग अलग स्थानों पर स्थापित है। कहा जाता है कि इन 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही भक्तों की सभी समस्याएं, दोष आदि नष्ट हो जाते हैं। बता दें कि कहा जाता है सोमनाथ ज्योतिर्लिंग  पृथ्वी का सबसे पहला ज्योतिर्लिंग है और ये ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थापित है। बता दें कि धार्मिक कथा के अनुसार जब प्रजापति दक्ष के चंद्रदेव को क्षीण हो जाने का शाप दे दिया था तो शाप से मुक्ति पाने के लिए चंद्र देव ने भगवान शिव की अराधना की थी और महादेव वहां शिवलिंग के रुप में प्रकट हुए थे , तो वहीं एक और मान्यता के अनुसार चंद्रदेव ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी।

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 अगला यानी के दूसरा ज्योतिर्लिंग है मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग। ये ज्योतिर्लिंग  मद्रास के कृष्णा नदी के किनारे श्रीशैल पर्वत पर स्थापित है । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस पर्वत को कैलाश के समान दर्जा प्राप्त है। मान्यता है कि यहां भगवान शिव माता पार्वती के साथ निवास करते हैं।

 बात करें तीसरे ज्योतिर्लिंग यानी के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग कि तो ये उज्जैन, मध्य प्रदेश में स्थित है। बता दें कि ये एकमात्र ऐसा शिवलिंग है जो दक्षिणमुखी है और इसी कारण से ये बेहद प्रसिद्ध है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अकाल मृत्यु से मुक्ति पाने के लिए यहां भगवान शिव की पूजा करने से लाभ मिलता है।

 चौथा ज्योतिर्लिंग है ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग और ये स्थित है मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के नर्मदा नदी के किनारे स्थित हैं। जहां ये स्थित है वहां का द्वीप ऊं जैसा दिखता है। कहा जाता है कि ऊं जैसा होने की वजह से ही यहां के ज्योतिर्लिंग को ये नाम दिया गया है। इस स्थान पर महादेव के दो मंदिर है जिसमें से एक है ओंकारेश्वर और दूसरा है अमरेश्वर।

 पांचवा ज्योतिर्लिंग है केदारनाथ जो देवभूमि उत्तराखंड में स्थिति है। कहा जाता है कि ये ज्योतिर्लिंग एक जाग्रत ज्योतिर्लिंग है और ये  भगवान शिव के सभी ज्योतिर्लिंग में से सबसे ऊंचाई पर स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ये मंदिर पांडवों के द्वारा बनाया गया था।

 छठा ज्योतिर्लिंग है भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग जो महाराष्ट्र के पुणे जिले में सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध करने के लिए इस स्थान पर भीम रूप धारण किया था, इसलिए इस ज्योतिर्लिंग को भीमाशंकर के नाम से जाना जाता है। युद्ध के बाद, भगवान शिव ने देवताओं के अनुरोध पर ज्योतिर्लिंग के रूप में यहां निवास किया।

 सांतवा ज्योतिर्लिंग है काशी विश्वनाथ जो उत्तर प्रदेश  के वाराणसी में स्थापित है। बता दें कि इस नगर का पौराणिक नाम काशी भी है इसलिए इसे काशी विश्वनाथ के नाम से जाना जाता है। इस स्थान को लेकर ऐसी मान्यता है कि स्वयं देवी देवता यहां पर निवास करते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती काशी में रहना चाहती थी तो उनकी इच्छा के लिए भगवान शिव यहां प्रकट हुए थे।

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 आंठवा ज्योतिर्लिंग है त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग। ये ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक में स्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि ऋषि गौतम ने भगवान शिव और देवी गंगा को इस स्थान पर निवास करने के लिए मनाया था तभी से भगवान शिव यहां प्रकट हुए और यहां पर निवास कर रहे हैं।

 नौवा ज्योतिर्लिंग है बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग जो झारखंड के देवघर जिले में स्थापित है। एक पौराणिक कथा के अनुसार इस बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को रावण के द्वारा स्थापित किया गया था। रावण भगवान शिव के परम भक्तों में एक था उसने भगवान शिव की तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने रावण को वर मांगने को कहा। रावण ने भगवान शिव के साथ चलने के लिए कहा। भगवान शिव मान गए लेकिन एक शर्त रखी की अगर तुमने शिवलिंग को नीचे रखा तो ये वही स्थापित हो जाएगा। रास्ते में शिवलिंग को ले जाते समय रावण के लघुशंका लगी जिसके दौरान रावण ने शिवलिंग एक ग्वाले को थमा दिया। ग्वाले के रुप में भगवान विष्णु थे और उन्होंने शिवलिंग को ज़मीन पर रख दिया और वे शिवलिंग वहीं स्थापित हो गया।

 दसवां ज्योतिर्लिंग है नागेश्वर ज्योतिर्लिंग जो गुजरात के द्वारका में स्थित है। कहा जाता है कि इस नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के यहां कैसे स्थापित हुआ इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। कथा के अनुसार एक बार एक राक्षस दारुक ने सुप्रिय को बंदी  बना लिया जो भगवान शिव का भक्त था। सुप्रिय ने कारागार में ही भगवान शिव की आराधना करना आरंभ कर दिया जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने उस राक्षस का वध कर दिया और उसी स्थान पर नागेश्वर ज्योतिर्लिंग में स्थापित हो गए।

 ग्यारहवां  ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथपुरम में रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग मौजूद हैं। कहा जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग को भगवान राम के द्वारा स्थापित किया था। पौराणिक कथा के अनुसार त्रेतायुग में भगवान राम ने समुद्र के पास बालू से एक शिवलिंग का निर्माण किया जिसके बाद भगवान शिव वहीं रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के रुप में स्थापित हो गए।

 बारहवां ज्योतिर्लिंग है घुमेश्वर ज्योतिर्लिंग जो महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थापित है। ये 12 ज्योतिर्लिंग में आखरी ज्योतिर्लिंग है। एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव की परम भक्त घुश्मा हर रोज़ 100 पार्थिक शिवलिंग बनाती और पूजा-अर्चना करने के बाद उसे तालाब में विसर्जित कर देती। घुश्मा की बड़ी बहन घुश्मा से ईर्ष्या किया करती और एक दिन उसने घुश्मा के पुत्र की हत्या कर दी और उसका शव पानी में फेंक दिया। जिसके बाद घुश्मा बिना विलाप किए पूजा अर्चना करती रही जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे दर्शन दिए और उसके पुत्र को जीवनदान दे दिया। घुश्मा ने भगवान शिव से अनुरोध किया कि वे यहां निवास करें। जहां आज भगवान शिव घुमेश्वर ज्योतिर्लिंग के रुप में निवास करते हैं। 

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