Banke Bihari mandir Vrindavan Hariyali Teej 2025: बांके बिहारी मंदिर में 27 जुलाई को मनाया जाएगा हरियाली तीज का उत्सव

Edited By Updated: 25 Jul, 2025 06:45 AM

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Banke Bihari mandir Vrindavan Hariyali Teej 2025: हरियाली तीज पर ठाकुर बांके बिहारी जी के झूले का उत्सव वृंदावन में सबसे विशिष्ट, दुर्लभ और आध्यात्मिक रूप से अत्यंत भावविभोर करने वाला अनुभव होता है। यह उत्सव श्रावण मास में राधा-कृष्ण की झूला लीला को...

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Banke Bihari mandir Vrindavan Hariyali Teej 2025: हरियाली तीज पर ठाकुर बांके बिहारी जी के झूले का उत्सव वृंदावन में सबसे विशिष्ट, दुर्लभ और आध्यात्मिक रूप से अत्यंत भावविभोर करने वाला अनुभव होता है। यह उत्सव श्रावण मास में राधा-कृष्ण की झूला लीला को जीवंत करता है। हरियाली तीज पर बांके बिहारी जी का झूला उत्सव एक आध्यात्मिक झांकी है। श्री बांके बिहारी मंदिर वृंदावन के सेवाधिकारी राजू गोस्वामी ने पंजाब केसरी के संवादाता विक्की शर्मा से कहा इस सुंदर झांकी का दर्शन केवल बिहारी जी के रसिको को ही हो पाता है। हरियाली तीज से झूलनोत्सव का शुभारंभ होता है। इसकी विधिवत शुरुआत हरियाली तीज से होती है, जो श्रावण मास के रक्षाबंधन तक चलती है। बांके बिहारी मंदिर में 27 जुलाई को हरियाली तीज का उत्सव मनाया जाएगा।    

Banke Bihari mandir Vrindavan Hariyali Teej
हरियाली तीज का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि पूरे वर्ष में केवल इसी दिन ठाकुर बांके बिहारी जी झूले पर भक्तों को दर्शन देते हैं।
जानते हैं, कैसा होता है झूला स्वरूप-

बिहारी जी का स्वर्ण हिंडोला भव्य रूप से फूलों की झालरों, तुलसी माला, गुलाब, जैस्मीन और केवड़े के फूलों से सजाया जाता है। इस झूले को गोलोकधाम की झांकी के रूप में सजाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि स्वयं श्री राधारानी उस झूले पर विराजमान होती हैं।

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बांके बिहारी जी की झूला लीला का दर्शन करने वाले भक्त प्रेम और माधुर्य की लहर में डूब जाते हैं। झूले पर ठाकुर जी को बैठाया जाता है लेकिन भक्तों को झूला झुलाने की अनुमति नहीं होती। केवल सेवायत गोस्वामी जन ही झूला झुलाते हैं, क्योंकि यह एक अत्यंत आंतरिक लीला है।

आम दिनों की तरह पर्दा दर्शन होता है लेकिन हर बार पर्दा हटते ही झूले पर झूलते बिहारी जी के एक झलक के लिए भीड़ उमड़ पड़ती है। यह दर्शन 10-15 सेकंड के लिए होता है और फिर पर्दा डाल दिया जाता है।

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ठाकुर जी को इस दिन हरे रंग के वस्त्र पहनाए जाते हैं, जो हरियाली और श्रावण मास का प्रतीक हैं। सिर पर फूलों का मुकुट और अंगों पर केसर, चंदन और इत्र का प्रयोग होता है। श्रृंगार में राधा रानी के स्वरूप को भी झलकाया जाता है।

संगीत और भजन का दिव्य संगम ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में देखने को मिलता है। मंदिर में ब्रज के पारंपरिक झूला गीत गाए जाते हैं, जैसे: “झूला झूले नंदलाल बिरज में”
“छोटे से झूले में बांके बिहारी लाल”

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भजन संध्या का आयोजन होता है और वृंदावन के आकाश में राधे-राधे की गूंज होती है। बिहारी जी के रसिक उनके सुंदर दर्शन और झूला लीला के साक्षी बनने वृंदावन पहुंचते हैं। श्रद्धालु हरे वस्त्र, मेहंदी, फूलों की माला और भजन की पुस्तकों के साथ आते हैं। मान्यता है कि इस दिन झूला दर्शन करने से विवाह में रुकावट, वैवाहिक कष्ट और मनोकामना पूर्ण होती हैं।

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