Edited By Sarita Thapa,Updated: 22 Dec, 2025 03:22 PM

उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन को लेकर एक ऐतिहासिक बदलाव हुआ है। उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट विधेयक, 2025 को राज्यपाल की मंजूरी मिल गई है और अब यह आधिकारिक रूप से कानून बन गया है।
Banke Bihari New Trust Law : उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन को लेकर एक ऐतिहासिक बदलाव हुआ है। उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट विधेयक, 2025 को राज्यपाल की मंजूरी मिल गई है और अब यह आधिकारिक रूप से कानून बन गया है। इस नए कानून का मुख्य उद्देश्य मंदिर के प्रशासन में पारदर्शिता लाना और श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है। आइए जानते हैं इस नए कानून की मुख्य बातों के बारे में-
18 सदस्यीय ट्रस्ट का गठन
मंदिर के संचालन के लिए एक शक्तिशाली श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास बनाया जाएगा। इसमें कुल 18 सदस्य होंगे। इनमें सनातन धर्म के विद्वान, साधु-संत, और समाजसेवी शामिल होंगे। साथ ही, स्वामी हरिदास जी के वंशज गोस्वामी परिवार से भी 2 सदस्यों को जगह दी जाएगी। इसमें मथुरा के जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर आयुक्त और ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ जैसे उच्चाधिकारी शामिल होंगे।
संपत्तियों और चढ़ावे पर अधिकार
अब मंदिर की सभी चल-अचल संपत्तियां और श्रद्धालुओं द्वारा दिया जाने वाला दान इस ट्रस्ट के अधीन होगा। ट्रस्ट को 20 लाख रुपये तक के वित्तीय निर्णय लेने का स्वतंत्र अधिकार होगा, जबकि उससे अधिक की राशि के लिए सरकार की अनुमति आवश्यक होगी।
श्रद्धालुओं के लिए नई सुविधाएं
इस कानून के लागू होने के बाद भक्तों के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है, जैसे-
वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों के लिए अलग दर्शन मार्ग।
भीड़ प्रबंधन के लिए कतार मैनेजमेंट और डिजिटल एक्सेस।
पीने का पानी, विश्राम बेंच, गोशाला और अन्नक्षेत्र (सामुदायिक रसोई) की व्यवस्था।
परंपराओं का संरक्षण
सरकार ने स्पष्ट किया है कि मंदिर की प्राचीन धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं, रीति-रिवाजों या पूजा पद्धति में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। स्वामी हरिदास जी की परंपरा के अनुसार ही सभी उत्सव और अनुष्ठान जारी रहेंगे।
पारदर्शी प्रबंधन
प्रबंधन को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए ट्रस्ट की हर तीन महीने में कम से कम एक बैठक होनी अनिवार्य है। इससे मंदिर की व्यवस्थाओं और बजट की नियमित निगरानी हो सकेगी।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ