Edited By Prachi Sharma,Updated: 03 Sep, 2025 07:00 AM

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य, जो कि एक महान राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और तत्त्वज्ञानी थे, उन्होंने चाणक्य नीति के माध्यम से जीवन के हर पहलू को गहराई से समझाया है। चाहे वह बचपन हो, युवावस्था हो या फिर बुढ़ापा चाणक्य ने हर अवस्था के लिए मार्गदर्शन दिया...
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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य, जो कि एक महान राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और तत्त्वज्ञानी थे, उन्होंने चाणक्य नीति के माध्यम से जीवन के हर पहलू को गहराई से समझाया है। चाहे वह बचपन हो, युवावस्था हो या फिर बुढ़ापा चाणक्य ने हर अवस्था के लिए मार्गदर्शन दिया है। विशेष रूप से बुढ़ापा, यानी जीवन की अंतिम अवस्था, जिसमें व्यक्ति चाहता है कि उसे सम्मान, शांति और आत्मनिर्भरता मिले। लेकिन यह सुखद बुढ़ापा केवल उसी को नसीब होता है, जो समय रहते अपनी आदतों और जीवनशैली में सही बदलाव करता है। आइए जानते हैं चाणक्य नीति के अनुसार ऐसी आदतों के बारे में, जो अगर आप समय रहते अपना लें, तो आपका बुढ़ापा न सिर्फ सम्मानजनक बल्कि सुखमय भी बन सकता है।

बचपन से ही धन की समझ और बचत की आदत डालें
चाणक्य कहते हैं कि धन, मित्र और ज्ञान ऐसे संसाधन हैं जो यदि समय पर उपलब्ध हों, तो व्यक्ति को कभी कष्ट नहीं होता। वे आगे कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने युवा अवस्था में धन संचय नहीं करता, वह बुढ़ापे में दूसरों पर निर्भर हो जाता है।
अच्छे और सच्चे मित्र बनाएं परंतु संख्या से अधिक गुणवत्ता पर ध्यान दें
चाणक्य नीति में मित्रता का विशेष महत्व बताया गया है। उनका मानना था कि जीवन के हर पड़ाव पर मित्र हमारे लिए सहारा बन सकते हैं परंतु मित्र वही बनाना चाहिए जो संकट में साथ दे, न कि सिर्फ मौज-मस्ती में।

निरंतर सीखते रहें और ज्ञान बढ़ाते रहें
चाणक्य मानते थे कि विद्या ही ऐसा मित्र है जो हमेशा साथ रहता है, चाहे आप कहीं भी हों। बुढ़ापे में जब शारीरिक क्षमताएं कम हो जाती हैं, तब मानसिक सक्रियता और ज्ञान ही जीवन को अर्थपूर्ण बनाए रखते हैं।
