Chanakya Niti : इन 5 तरह के लोगों से दोस्ती करना बन सकता है भारी,  तुरंत बना लें दूरी

Edited By Updated: 23 Dec, 2025 04:03 PM

chanakya niti

Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, अपनी कूटनीति और जीवन दर्शन के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। उनकी महान रचना 'चाणक्य नीति' आज के आधुनिक युग में भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी सदियों पहले थी।...

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Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, अपनी कूटनीति और जीवन दर्शन के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। उनकी महान रचना 'चाणक्य नीति' आज के आधुनिक युग में भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी सदियों पहले थी। चाणक्य का मानना था कि एक व्यक्ति की संगति ही उसके भविष्य का निर्धारण करती है। चाणक्य कहते हैं कि गलत व्यक्ति से दोस्ती करना वैसा ही है जैसे सांप को दूध पिलाना; अंत में वह आपको ही डसेगा। उनके अनुसार, यदि किसी व्यक्ति में ये 5 अवगुण दिखाई दें, तो उनसे तुरंत दूरी बना लेनी चाहिए और भूलकर भी दोस्ती का हाथ नहीं बढ़ाना चाहिए।

 स्वार्थ की भावना
चाणक्य नीति के अनुसार, जो व्यक्ति केवल अपने लाभ के बारे में सोचता है, वह कभी भी सच्चा मित्र नहीं हो सकता। ऐसे लोग दोस्ती को एक निवेश या व्यापार की तरह देखते हैं। स्वार्थी व्यक्ति तब तक आपके साथ रहेगा जब तक उसे आपसे कोई लाभ मिल रहा है। जैसे ही आप किसी मुसीबत में पड़ेंगे या आपका प्रभाव कम होगा, वह सबसे पहले आपका साथ छोड़कर चला जाएगा।

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कटु वचन और कड़वी वाणी 
वाणी मनुष्य के व्यक्तित्व का आइना होती है। चाणक्य कहते हैं कि जिस व्यक्ति की भाषा में मिठास नहीं है और जो दूसरों का अपमान करने में आनंद महसूस करता है, वह भरोसे के लायक नहीं है। जो व्यक्ति दूसरों के लिए अपशब्द बोलता है, वह समय आने पर आपके लिए भी वैसा ही करेगा। कड़वी वाणी बोलने वाले लोग समाज में आपकी छवि को भी खराब कर सकते हैं क्योंकि संगति का असर सीधे तौर पर व्यक्ति के मान-सम्मान पर पड़ता है।

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चरित्रहीनता और दुष्ट स्वभाव
चाणक्य के अनुसार, जिस व्यक्ति का चरित्र साफ नहीं है या जिसकी प्रवृत्तियां अनैतिक कार्यों में संलग्न हैं, उनसे कोसों दूर रहना चाहिए। दुष्ट स्वभाव का व्यक्ति अपनी बुरी आदतों के कारण अक्सर परेशानियों में घिरा रहता है। यदि आप ऐसे व्यक्ति के मित्र हैं, तो आपको न केवल सामाजिक अपमान सहना पड़ेगा, बल्कि आप बिना किसी दोष के कानूनी या अन्य मुश्किलों में फंस सकते हैं।

आलस्य 
अंकशास्त्र और चाणक्य नीति दोनों में आलस्य को मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु माना गया है। चाणक्य कहते हैं कि एक आलसी व्यक्ति न तो अपना भला कर सकता है और न ही अपने मित्र का। आलसी मित्र आपको आपके लक्ष्यों से भटका सकता है। उसकी नकारात्मक ऊर्जा और काम को टालने की आदत आपको भी सुस्त बना सकती है। प्रगति के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति के लिए ऐसा मित्र एक भारी बोझ की तरह होता है।

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