Chhath Puja 2025: आज से शुरू होगा सूर्य उपासना का पर्व छठ पूजा

Edited By Updated: 25 Oct, 2025 07:20 AM

chhath puja 2025

भारत को त्यौहारों का देश कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा। शारदीय नवरात्रों के साथ ही देश में त्यौहारों का सीजन शुरू हो जाता है। नवरात्रों के बाद दशहरा पर्व मनाया जाता है तथा दशहरे के 20 दिन बाद दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है। इस तरह दीपावली के 6 दिन...

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जालंधर (हरिन्दर शाह): भारत को त्यौहारों का देश कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा। शारदीय नवरात्रों के साथ ही देश में त्यौहारों का सीजन शुरू हो जाता है। नवरात्रों के बाद दशहरा पर्व मनाया जाता है तथा दशहरे के 20 दिन बाद दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है। इस तरह दीपावली के 6 दिन बाद सूर्य उपासना का पर्व छठ पूजा धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

भारत के बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाए जाने वाले इस महापर्व को इन क्षेत्रों के पंजाब, दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े महानगरों में रहने वाले लोगों द्वारा वहां भी इसे धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस बार छठ पूजा का पर्व 25 अक्तूबर दिन शनिवार से शुरू हो रहा है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि के सूर्योदय तक छठ पूजा का पर्व चलता है। जिस तरह से सैंकड़ों साल पहले यह पर्व मनाया जाता था उसी तरह आज भी इसे मनाया जाता है। छठ मैया की पूजा से संतान प्राप्ति, संतान की रक्षा और सुख-समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है। छठ मैया को सूर्य देव की बहन माना जाता है।

पहला दिन :  नहाय खाय
पहला दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहाय खाय के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष नहाय खाय 25 अक्तूबर दिन शनिवार को है। सबसे पहले घर की सफाई कर उसे पवित्र किया जाता है।  इसके पश्चात छठ व्रती स्नान कर पवित्र तरीके से बने शुद्ध शाकाहारी भोजन को ग्रहण कर व्रत की शुरूआत करते हैं। घर के बाकी सदस्य व्रती के भोजन करने के उपरांत ही खाना खाते हैं। भोजन के रूप में कटू, चने की दाल व चावल ग्रहण किया जाता है।

दूसरा दिन :  खरना व लोहंडा
दूसरे दिन कार्तिक मास के शुक्त पक्ष की पंचमी को व्रतधारी दिन भर का उपवास रखने के बाद शाम को भोजन करते हैं जिसे खरना कहा जाता है। इस वर्ष खरना और लोहंडा 26 अक्तूबर को है।  खरना का प्रसाद लेने के लिए आस-पास के सभी लोगों को आमंत्रित किया जाता है। प्रसाद के रूप में गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध चावल का पिट्टा और घी से चुपड़ी रोटी बनाई जाती है। इसमें नमक या चीनी का उपयोग नहीं किया जाता।

तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य
तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को दिन में छठ प्रसाद बनाया जाता है। इस पर्व के लिए जो प्रसाद होता है वह घर में ही तैयार किया जाता है। ठेकुआ और कसार के अलावा अन्य जो भी पकवान बनाए जाते हैं वे खुद व्रत करने वाले या उनके परिजन घरों में ही तैयार करते हैं। ठेकुआ गुड़ और आटे से तैयार किया जाता है, वहीं कसार चावल के आटे व गुड़ से तैयार किया जाता है। छठ के लिए इस्तेमाल होने वाले बर्तन या तो बांस के बने होते हैं या फिर मिट्टी के। शाम को पूरी तैयारी के साथ बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है। व्रती के साथ परिवार के सारे लोग सूर्य को अर्घ्य देने के लिए घाट की ओर चले जाते हैं। सभी छठ व्रती एक निश्चित तालाब या नदी के किनारे इकट्ठे होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य दान करते हैं। सूर्य को जल और दूध का अर्घ्य दिया जाता है तथा छठ मैया की प्रसाद से भरे सूप से पूजा की जाती है। इस वर्ष डूबते सूर्य को दिया जाने वाला संध्या अर्घ्य 27 अक्तूबर सोमवार को है।

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