Edited By Prachi Sharma,Updated: 18 Sep, 2025 07:01 AM

Daksheshwar Mahadev Temple: आत्मदाहदक्षेश्वर महादेव मंदिर उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में स्थित एक प्रसिद्ध और पवित्र शिव मंदिर है। यह मंदिर हरि की पैड़ी से लगभग 6.5 किलोमीटर की दूरी पर कनखल नामक क्षेत्र में स्थित है।
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Daksheshwar Mahadev Temple: आत्मदाहदक्षेश्वर महादेव मंदिर उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में स्थित एक प्रसिद्ध और पवित्र शिव मंदिर है। यह मंदिर हरि की पैड़ी से लगभग 6.5 किलोमीटर की दूरी पर कनखल नामक क्षेत्र में स्थित है।
पौराणिक मान्यता
मंदिर का संबंध भगवान शिव और उनकी पत्नी माता सती से जुड़ी एक पौराणिक कथा से है, जो इसे विशेष बनाती है। मंदिर को लेकर मान्यता है कि यह वही स्थान है जहां प्राचीन काल में राजा दक्ष प्रजापति ने एक बड़ा यज्ञ आयोजित किया था। राजा दक्ष, माता सती के पिता और ब्रह्मा जी के पुत्र थे। उन्होंने इस यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया था। माता सती इस यज्ञ में बिना बुलावे के ही चली गई थीं। यज्ञ में राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया जिससे क्रोध में आकर माता सती ने यज्ञ कुंड में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए थे।

इससे भगवान शिव अत्यधिक क्रोधित हो उठे और उन्होंने वीरभद्र नामक गण को उत्पन्न किया। वीरभद्र ने यज्ञ स्थल पर जाकर विनाश करते हुए राजा दक्ष का सिर काट दिया था। बाद में देवताओं के आग्रह पर किसी तरह भगवान शिव का क्रोध शांत हुआ और राजा दक्ष को उन्होंने दोबारा जीवित कर दिया लेकिन इस बार उनके मानव शरीर पर बकरे का सिर लगा दिया गया।
राजा दक्ष के आग्रह पर भगवान शिव ने कहा था कि यहां दक्षेश्वर महादेव के नाम से गंगाजल चढ़ाने व पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। वह सावन के पूरे माह इस मंदिर में ही वास करेंगे।
पातालमुखी शिवलिंग
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष रविंद्र्रपुरी बताते हैं कि मंदिर का शिवलिंग धरती के साथ पाताल लोक में भी स्थित है। विश्व में यही एकमात्र ऐसा शिवलिंग है, जो आकाशमुखी नहीं, बल्कि पातालमुखी है। दक्षेश्वर शब्द का अर्थ होता है- ‘दक्ष के ईश्वर’ यानी भगवान शिव।

पितृ दोष की समस्या होती है दूर
माना जाता है कि इस मंदिर में पूजा करने से व्यक्ति के सारे पाप कटते हैं और जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है। लोगों में ऐसा विश्वास भी है कि यहां श्रद्धा से की गई प्रार्थना भगवान शिव निश्चित रूप से स्वीकार करते हैं और मंदिर में भगवान शिव के दर्शन से पितृ दोष की समस्या दूर हो जाती है। मंदिर के पास ही एक अन्य महत्वपूर्ण स्थान है, जिसे सती कुंड के नाम से जानते हैं। मान्यताओं के अनुसार, यह स्थान वही है जहां माता सती ने अपने प्राण त्यागे थे।
How to reach कैसे पहुंचें:
ट्रेन से - हरिद्वार रेलवे स्टेशन उत्तर भारत के मुख्य रेलवे स्टेशनों से जुड़ा हुआ है। स्टेशन से कनखल क्षेत्र लगभग 5-6 किलोमीटर की दूरी पर है।
सड़क से : उत्तराखंड रोडवेज और निजी बसें हरिद्वार के लिए नियमित रूप से उपलब्ध हैं।
हवाई मार्ग : नजदीकी हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है।
