गिनीज बुक में दर्ज है इस हनुमान मंदिर का नाम, अकबर और ओबामा भी मुरीद

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Jun, 2021 10:29 PM

delhi hanuman mandir connaught place

यूं तो पूरा भारत ही आस्था और श्रद्धा का केंद्र है मगर यहां कुछ जगहें ऐसी हैं जिनके प्रति अगाध श्रद्धा है लोगों के मन में। ऐसा ही एक स्थान है दिल्ली का प्राचीन हनुमान मंदिर। कनाट प्लेस के बाबा खडग़ सिंह मार्ग पर स्थित इस मंदिर में

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Pracheen Hanuman Mandir Connaught place: यूं तो पूरा भारत ही आस्था और श्रद्धा का केंद्र है मगर यहां कुछ जगहें ऐसी हैं जिनके प्रति अगाध श्रद्धा है लोगों के मन में। ऐसा ही एक स्थान है दिल्ली का प्राचीन हनुमान मंदिर। कनाट प्लेस के बाबा खडग़ सिंह मार्ग पर स्थित इस मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए सिर्फ दिल्ली के ही लोग नहीं बल्कि विश्व भर से दर्शनार्थी पहुंचते हैं। हर रोज मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है किन्तु मंगलवार और शनिवार को मंदिर परिसर में तिल रखने की भी जगह नहीं होती। पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ श्रद्धालु यहां पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं। अपार भीड़ होने के बावजूद श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती। मंदिर कमेटी की अच्छी व्यवस्था के कारण चमत्कारी हनुमान जी के दर्शन होते हैं और दर्शन मात्र से ही चित्त को असीम शांति मिलती है। 

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बताया जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने दिल्ली में पांच मंदिरों की स्थापना की थी। उन्हीं पांच मंदिरों में से एक है यह प्राचीन हनुमान मंदिर। अन्य चार मंदिरों में शामिल हैं दक्षिण दिल्ली का काली मंदिर-‘कालकाजी’, कुतुब मीनार के निकट योगमाया मंदिर, पुराने किला के निकट भैरो मंदिर एवं निगम बोध घाट स्थित नीली छतरी महादेव मंदिर।

दरअसल दिल्ली का प्राचीन नाम इंद्रप्रस्थ है। महाभारत काल में पांडवों ने इस शहर को यमुना नदी के किनारे बसाया था। तब पांडव इंद्रप्रस्थ पर और कौरव हस्तिनापुर पर राज करते थे। दोनों ही कुरु वंश के थे। ऐसी मान्यता है कि पांडवों के द्वितीय भाई भीम और हनुमान दोनों भाई थे इसलिए दोनों को वायु-पुत्र ही कहा जाता है। हनुमान से इस लगाव के कारण ही पांडवों ने इस हनुमान मंदिर की स्थापना दिल्ली में की। पांचों मंदिरों की काफी महत्ता है।

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कनाट प्लेस चूंकि दिल्ली का दिल है और पूर्ण व्यावसायिक क्षेत्र है। देश के कोने-कोने से लोग यहां मार्कीटिंग करने के लिए भी पहुंचते हैं इसलिए भी हनुमान मंदिर तक पहुंचना काफी सरल है। यहां का बच्चा-बच्चा इस मंदिर के बारे में बता सकता है। न हनुमान जी की शरण में जो कोई भी श्रद्धालु सच्चे हृदय से आता है वह हर संकट से पार पा जाता है। इनकी महिमा अपरम्पार एवं मनोहारिणी है। स्मरण मात्र से ही ये भक्तों पर दया करते हैं। इनका अनुपम प्रभाव लोक विख्यात है।

इस हनुमान मंदिर का वर्तमान स्वरूप सन् 1924 में उस वक्त श्रद्धालुओं के सामने आया जब तत्कालीन जयपुर रियासत के महाराज जय सिंह ने इसका जीर्णोद्धार कराया। इसके बाद तो दुनिया भर में इसकी लोकप्रियता फैलती गई और बजरंग बली ने सब पर अपनी कृपा बरसानी शुरू कर दी। मंदिर के महंत ने बताया कि यहां हनुमान जी के बाल रूप के दिव्य दर्शन किए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि महाराजा जय सिंह द्वारा जीर्णोद्धार कराए जाने से पूर्व इस मंदिर पर आतताइयों और विरोधियों द्वारा कई बार हमले भी किए गए लेकिन यह बात भी अपने आप में काफी चमत्कारिक है कि मुगल शासन के दौरान आक्रमण किए जाने के बावजूद इस बाल स्वरूप वाले हनुमान जी और उनके मंदिर को कोई नुक्सान नहीं पहुंच पाया।

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यहां 33 पीढिय़ां लगातार हनुमान जी के मंदिर की देखभाल और बजरंग बली की सेवा करती आ रही हैं। उन सभी पर हनुमान जी की विशेष कृपा रही। मोदक और लड्डू चढ़ाने वाले भक्तों पर कनाट प्लेस के बजरंग बली विशेष प्रसन्न होते हैं। उनके सभी मनोरथों को पूर्ण कर सुख एवं समृद्धि देते हैं।

एक मान्यता के मुताबिक प्रसिद्ध भक्ति कालीन संत तुलसीदास जी ने दिल्ली यात्रा के दौरान यहां आकर बजरंग बली के अद्भुत बाल रूप के दर्शन किए थे और काफी मंत्रमुग्ध हुए थे। बताया जाता है कि यहीं बैठ कर उन्होंने हनुमान चालीसा की रचना की थी। इसी दौरान जब मुगल सम्राट अकबर तक यह खबर पहुंची तो उन्होंने तुलसीदास जी को दरबार में आने का आदेश भेजा। आदेश पाकर तुलसीदास यहां पहुंचे। तब मुगल सम्राट ने उनसे कोई चमत्कार दिखाने का आग्रह किया। मुगल शासक की मांग बेहद कठिन थी मगर बताया जाता है कि संत तुलसी दास जी ने उन्हें पूर्ण संतुष्ट किया। इसके बाद ही सम्राट ने कनाट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर के शिखर पर इस्लामी चंद्रमा एवं किरीट कलश समर्पित किया। इसके उपरांत मुस्लिम आक्रमणकारियों ने कभी भी इस मंदिर पर कोई हमला नहीं किया क्योंकि मंदिर के शिखर पर इस्लामी चंद्रमा स्थापित था। बताया जाता है कि मुगल सम्राट अकबर भी इस बजरंग बली के मुरीद हो गए थे।

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यह मंदिर सर्व धर्म समभाव का भी संदेश देता है क्योंकि यहां हर धर्म के श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंदिर के पास ही गुरुद्वारा बंगला साहिब स्थित है तो दूसरी तरफ मस्जिद और चर्च भी हैं। मंदिर के एक पुजारी जी ने बताया कि सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को यहां चोला चढ़ाने की विशेष परम्परा है। चोला चढ़ावे में श्रद्धालु घी, सिंदूर, चांदी का वर्क और इत्र की शीशी का प्रयोग करते हैं।

इस मंदिर की एक खास विशेषता यह भी है कि यहां हनुमान जी लगभग 90 साल बाद अपना चोला छोड़कर प्राचीन स्वरूप में आ जाते हैं। सबसे बड़ी विशेषता तो यह है कि यहां चौबीसों घंटे अटूट मंत्र जाप होता है। यह सिलसिला 1 अगस्त 1964 से अनवरत चलता आ रहा है। यह जाप श्री राम जय राम जय जय राम का होता है। बताया जाता है कि ये विश्व का सबसे लम्बा जाप है। यही वजह है कि यह गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्डस में भी दर्ज है।

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इस हनुमान मंदिर के पास ही एक विख्यात शनि मंदिर भी है। यह भी काफी प्राचीन मंदिर है। यह शनि मंदिर एक दक्षिण भारतीय व्यक्ति द्वारा बनवाया गया था। इस मंदिर में भी श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचते हैं। हनुमान मंदिर के लिए साल में चार तिथियां काफी महत्वपूर्ण होती हैं दीपावली, हनुमान जयंती, जन्माष्टमी एवं शिवरात्रि। इन तिथियों को मंदिर दुल्हन की तरह सजाया जाता है और हनुमान जी का विशेष शृंगार किया जाता है।

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इस मंदिर के भक्त अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा भी हैं। भारत दौरे के दौरान उन्होंने बजरंगबली के दर्शन किए थे। कुल मिलाकर यह मंदिर काफी चमत्कारी और श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण करने वाला है। यही वजह है कि मंदिर का पट चौबीसों घंटे खुला रहता है और श्रद्धालु आते रहते हैं।  

 

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