Edited By Lata,Updated: 22 Oct, 2019 12:52 PM
दिवाली का त्योहार बहुत ही पवित्र व हिंदुओं के लिए खास होता है। कहते है कि इस दिन भगवान राम चौदह बरस के वनवास को पूरा करके
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दिवाली का त्योहार बहुत ही पवित्र व हिंदुओं के लिए खास होता है। कहते है कि इस दिन भगवान राम चौदह बरस के वनवास को पूरा करके वापिस अयोध्या आए थे जिस कारण से उनके स्वागत में पूरी अयोध्या में दीये जलाए गए थे और तब से दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। इस रात माता लत्र्मी व गणेश जी की पूजा का विधान बताया गया है। इसके साथ ही धन के देवता कुबेर का पूजन भी किया जाता है।
बता दें कि दीपावली का त्योहार धनतेरस से शुरू होकर भाई-दूज तक रहता है। इस दौरान आने वाले हर पर्व का अपना एक खास महत्व होता है। लोग अपने घरों में दिवाली की तैयारियां बहुत समय पहले से ही शुरू कर देते हैं। दीपावली के अवसर पर दीपमाला करने के विधान शास्त्रों में बताया गया है। इस दिन पूरे घर को दीयों से सजाया जाता है और साथ ही मुख्य द्वार पर रंगोली भी बनाई जाती है। हर जगह रंग-बिरंगी लाइट्स के साथ दीयों की रोशनी दिखाई देती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस दिन पूजन के लिए किन वस्तुओं का उपयोग किया जाना चाहिए।
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पूजा की सामग्री
चावल, गुलाल, हल्दी, मेहंदी, चूड़ी, काजल, रुई, रोली, सिंदूर, सुपारी, पान के पत्ते, पुष्पमाला, पंच मेवा, गंगाजल, शहद, शक्कर, शुद्ध घी, दही, दूध, ऋतुफल, गन्ना, सीताफल, सिंघाड़े,पेड़ा, मालपुए, इलायची(छोटी),लौंग, इत्र की शीशी, कपूर, केसर, सिंहासन , पीपल, आम और पाकर के पत्ते, औषधि जटामॉसी, शिलाजीत, लक्ष्मीजी की मूर्ति, गणेशजी की मूर्ति, सरस्वती का चित्र, चाँदी का सिक्का, लक्ष्मी-गणेशजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र, जल कलश, सफेद कपड़ा, लाल कपड़ा,पंच रत्न, दीपक, दीपक के लिए तेल, पान का बीड़ा, श्रीफल,कलम, बही-खाता, स्याही की दवात, पुष्प(गुलाब एवं लाल कमल), हल्दी की गाँठ, खड़ा धनिया, खील-बताशे, अर्घ्य पात्र सहित अन्य सभी पात्र, धूप बत्ती, चंदन आदि।