Dussehra 2025: ब्रह्मा-शिव का आशीर्वाद, फिर भी नहीं उठा धनुष- यह है रावण की हार का असली रहस्य

Edited By Updated: 02 Oct, 2025 08:27 AM

dussehra 2025

Dussehra 2025: सृष्टि का संचालन ऊर्जा से होता है। यह ऊर्जा हम सभी के लिए उपलब्ध है, प्रश्न बस इतना है कि हमारी इच्छा क्या है और हम उस ऊर्जा को कितना धारण कर सकते हैं। सूर्य को देखिए, यह ऊर्जा का एक अद्भुत स्रोत है। आप इसके जितने निकट जाते हैं, उतनी...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Dussehra 2025: सृष्टि का संचालन ऊर्जा से होता है। यह ऊर्जा हम सभी के लिए उपलब्ध है, प्रश्न बस इतना है कि हमारी इच्छा क्या है और हम उस ऊर्जा को कितना धारण कर सकते हैं। सूर्य को देखिए, यह ऊर्जा का एक अद्भुत स्रोत है। आप इसके जितने निकट जाते हैं, उतनी ही अधिक ऊष्मा महसूस करते हैं। मगर, आप कितनी गर्मी की कामना करते हैं और कितनी सहन कर सकते हैं, यही तय करता है कि आप इसके कितने करीब रह सकते हैं।

कई बार, इच्छा होते हुए भी जैसे ही कोई व्यक्ति उस परम ऊर्जा के निकट आता है, वह उस ऊर्जा को प्रतिबिंबित करना शुरू कर देता है। यहीं पर अहंकार जन्म लेता है। इस अहंकार के कारण, हम स्वयं को उस ऊर्जा का स्रोत समझने की भूल कर बैठते हैं और उससे अलग हो जाते हैं। ठीक इसी प्रकार, जब आप गुरु के सान्निध्य में आते हैं, तो आप उनके तेज और शक्ति को दर्शाने लगते हैं। यदि इस क्षण आप उस आभा को अपनी निजी उपलब्धि मान लेते हैं, तो आप मार्ग से भटक जाते हैं। रावण का जीवन इसी भूल का एक सटीक उदाहरण है।

अपने पूर्व जन्म में, रावण भगवान विष्णु के द्वारपाल थे और वैकुंठ में रहते थे। परम प्रभु के इतने निकट रहने से उनमें अहंकार आ गया। उन्होंने अपनी शक्ति का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया, यह तय करने लगे कि कौन प्रभु से मिल सकता है और कौन नहीं। एक बार उन्होंने सनत्कुमार ऋषियों को प्रवेश देने से मना कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें श्राप मिला कि वे अपने स्वामी से अलग होकर पृथ्वी पर जन्म लें।

PunjabKesari v

पृथ्वी पर रावण के रूप में जन्म लेकर, उन्होंने फिर से अपनी यात्रा शुरू की। उन्होंने वेदों और विभिन्न ऊर्जा विज्ञानों का ज्ञान अर्जित किया। अपनी कठोर तपस्या और साधना से, वे ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने में सफल रहे, लेकिन उन्होंने भगवान को नहीं मांमगा। इसके बजाय, उन्होंने उनकी शक्ति का एक हिस्सा मांगा- यह वरदान कि वह देवताओं और दानवों के बीच अजेय रहें ( उन्होंने मनुष्यों को अपने समक्ष नगण्य मानकर उनसे प्रतिरक्षा नहीं मांगी )।

इस नई शक्ति के मद में, वह कैलाश पर्वत पहुंचे और अपनी भुजाओं के बल पर पूरे पर्वत को उठाने का प्रयास किया। भगवान शिव ने केवल अपने पैर के एक अंगूठे से पर्वत को वापस स्थापित कर दिया, जिससे रावण का हाथ कुचल गया। यह घटना दर्शाती है कि भौतिक शरीर की हर शक्ति सीमित है और वास्तविकता इससे बहुत परे है।

रावण विनम्र हुए और फिर से भगवान शिव की तपस्या शुरू कर दी। इस बार भी उनकी शक्ति प्राप्त करने के लिए, भौतिक शक्ति की चाह में। उन्होंने शिव जी को प्रसन्न किया, जिन्होंने उन्हें और अधिक शक्ति प्रदान की। एक बार फिर रावण का अहंकार बढ़ गया।

उन्हें संकेत देने के लिए, अगली घटना जनक के दरबार में हुई। ब्रह्मा और शिव से अपार शक्ति और वरदान प्राप्त होने के बावजूद, वह भगवान शिव के धनुष को उठा नहीं पाए, जिसे एक नश्वर मनुष्य रूप में श्री राम ने सहजता से उठा लिया।

अहंकार और अविद्या के पर्दे में लिपटे रावण, क्रोध में दरबार छोड़कर चले गए। वह अपने ही प्रभु को पहचान नहीं पाए, जिनके पास लौटने के उद्देश्य से ही उन्होंने मनुष्य का जन्म लिया था। अंततः, प्रभु ने रावण से एक बार फिर युद्ध के मैदान में मिलने की व्यवस्था की सिर्फ पराजित करने के लिए नहीं, बल्कि उनका वध करने के लिए और वह भी एक मनुष्य के हाथों।

PunjabKesari Dussehra 2025

सारी शक्ति, समस्त विद्याएं, सारा ज्ञान और कवच जैसा शरीर... एक ही तीर से समाप्त हो गया, जो उनकी नाभि में लगा। यह इस बात का प्रमाण था कि भौतिक जगत की हर चीज क्षणिक और अवास्तविक है, जिसका अंत निश्चित है। दशहरा वह पावन दिन है जो हमारे भीतर के रावण (अहंकार और अज्ञान) के अंत का प्रतीक है, ताकि हम उस स्रोत की ओर लौट सकें जहां से हमने अपनी यात्रा शुरू की थी।

PunjabKesari Dussehra 2025

गुरु के मार्गदर्शन में सनातन क्रिया और अष्टांग योग का नियमित अभ्यास, व्यक्ति को उसकी अभीष्ट अनुभूतियों से गुजारता है और उसे परम विलय के मार्ग पर अग्रसर करता है। इस अंतिम मिलन का आनंद, किसी भी भौतिक शक्ति या धन-संपत्ति के सुख से कहीं अधिक और अनंत होता है।

अश्विनी गुरुजी, ध्यान फाउंडेशन

 

Related Story

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!