Garuda Purana :  गरुड़ पुराण से जानें, मौत के बाद शरीर के किस द्वार से बाहर निकलती है आत्मा ?

Edited By Updated: 28 Dec, 2025 11:21 AM

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हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक गरुड़ पुराण में जीवन, मृत्यु और आत्मा के पुनर्जन्म के रहस्यों को विस्तार से बताया गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार, जब मृत्यु का समय निकट आता है, तो आत्मा शरीर के विभिन्न अंगों से बाहर निकलती है।

Garuda Purana Secrets : हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक गरुड़ पुराण में जीवन, मृत्यु और आत्मा के पुनर्जन्म के रहस्यों को विस्तार से बताया गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार, जब मृत्यु का समय निकट आता है, तो आत्मा शरीर के विभिन्न अंगों से बाहर निकलती है। मानव शरीर में मुख्य रूप से नौ द्वार माने गए हैं, दो आंखें, दो कान, दो नथुने, मुंह, और दो उत्सर्जन मार्ग (गुदा और जननांग)। इनके अलावा एक दसवां द्वार भी होता है, जिसे ब्रह्मरंध्र कहा जाता है। आत्मा किस द्वार से बाहर निकलेगी, यह उस व्यक्ति के जीवन भर के कर्मों और उसकी मानसिक चेतना पर निर्भर करता है। तो आइए जानते हैं कि मौत के बाद शरीर के किस द्वार से बाहर निकलती है आत्मा। 

मुंह से प्राण निकलना (सामान्य मृत्यु)
अधिकतर मनुष्यों के प्राण मुंह के जरिए बाहर निकलते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार, जो लोग संसार के प्रति अत्यधिक मोह-माया में फंसे होते हैं, उनकी आत्मा अक्सर मुंह से बाहर निकलती है। प्रस्थान के समय उनकी जीभ बाहर आ जाती है और लार गिरने लगती है।

आंखों, कान या नाक से प्रस्थान
यदि किसी व्यक्ति के प्राण आंखों से निकलते हैं, तो उसकी आंखें खुली या फटी रह जाती हैं। इसी प्रकार नाक या कान से प्राण निकलने को भी सामान्य माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, यह इस बात का संकेत है कि आत्मा अभी भी सांसारिक इच्छाओं से मुक्त नहीं हुई है।

अधोद्वार (मल-मूत्र मार्ग) से निकलना
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जिन लोगों ने जीवन भर पाप किए होते हैं या जिनका मन अत्यंत नकारात्मक होता है, उनकी आत्मा शरीर के निचले द्वारों (मल-मूत्र मार्ग) से बाहर निकलती है। मृत्यु के समय ऐसे व्यक्ति के शरीर से मल-मूत्र का त्याग हो जाता है, जो एक कष्टदायक अंत और निम्न गति का प्रतीक माना जाता है।

ब्रह्मरंध्र: सबसे श्रेष्ठ मार्ग
योगियों, ऋषियों और उन लोगों के प्राण, जिन्होंने जीवन भर ईश्वर की भक्ति और परोपकार किया है, ब्रह्मरंध्र (सिर के ऊपरी भाग) से निकलते हैं। इसे दशम द्वार भी कहते हैं। जब आत्मा यहां से निकलती है, तो तालू के पास से सिर में एक हल्का सा खिंचाव या दरार महसूस होती है। इस मार्ग से निकलने वाली आत्मा को परम गति प्राप्त होती है और वह जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष की ओर बढ़ती है।

मृत्यु के समय आत्मा को क्या दिखता है?
गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु से ठीक पहले व्यक्ति की दृष्टि धुंधली हो जाती है और उसे यमदूत दिखाई देने लगते हैं। अच्छे कर्म करने वालों को देवदूत और प्रकाश दिखाई देता है, जबकि बुरे कर्म करने वालों को डरावनी आकृतियां दिखती हैं, जिससे भय के कारण उनके प्राण शरीर के निचले अंगों से बाहर निकलने को मजबूर हो जाते हैं।

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