Edited By Prachi Sharma,Updated: 07 Aug, 2024 01:01 PM
एक बार भगवान बुद्ध अपने शिष्यों के साथ कहीं जा रहे थे। उनके एक शिष्य ने मार्ग में उनसे एक प्रश्न पूछा, “भगवन् ! जीवन में पूर्ण रूप से कभी शांति नहीं मिलती, कोई
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Gautam Buddha Story: एक बार भगवान बुद्ध अपने शिष्यों के साथ कहीं जा रहे थे। उनके एक शिष्य ने मार्ग में उनसे एक प्रश्न पूछा, “भगवन् ! जीवन में पूर्ण रूप से कभी शांति नहीं मिलती, कोई ऐसा मार्ग बताइए कि जीवन में सदा शांति का अहसास हो।”
भगवान बुद्ध शिष्य का प्रश्न सुनकर बोले, “तुम्हें इसका जवाब अवश्य देंगे किंतु अभी मुझे प्यास लगी है, पहले थोड़ा जल पी लें। क्या हमारे लिए जल लेकर आओगे ?”
इसके बाद शिष्य जल की खोज में निकला तो कुछ दूरी पर एक झरना नजर आया। वह जैसे ही करीब पहुंचा कुछ बैलगाड़ियां वहां आ पहुंचीं और झरने को पार करने लगीं। उनके गुजरने के बाद शिष्य ने पाया कि झील का पानी बहुत ही गंदा हो गया है इसलिए उसने कहीं और से जल लेने का निश्चय किया। बहुत देर तक जब अन्य स्थानों पर जल तलाशने पर जल नहीं मिला तो निराश होकर उसने लौटने का निश्चय किया।
उसके खाली हाथ लौटने पर जब भगवान बुद्ध ने पूछा तो उसने सारी बात बताई और यह भी बोला कि एक बार फिर से मैं किसी दूसरी झील की तलाश करता हूं जिसका पानी साफ हो। यह सुनकर बुद्ध बोले, “दूसरी झील तलाश करने की जरूरत नहीं, उसी झील पर जाओ।”
शिष्य दोबारा उस झील पर गया किंतु अभी भी झील का पानी साफ नहीं हुआ था। शिष्य दोबारा वापस आकर बोला उस झील का पानी अभी भी गंदा है। भगवान बुद्ध ने कुछ देर बाद उसे वहीं जाने को कहा। थोड़ी देर ठहर कर शिष्य जब झील पर पहुंचा तो अब झील का पानी बिल्कुल पहले जैसा ही साफ हो चुका था।
इस बार शिष्य जल ले आया जिसे बुद्ध पीकर बोले कि जो क्रियाकलाप अभी तुमने किया, तुम्हारा जवाब इसी में छुपा हुआ है।
भगवान बुद्ध बोले, “हमारे जीवन के जल को भी विचारों की बैलगाड़ियां रोज गंदा करती रहती हैं और हमारी शांति को भंग करती हैं। यदि हम बुरे विचारों को रोकने में सफल हो गए तो जीवन में सदा शांति का अहसास पा लेंगे।”