Edited By Niyati Bhandari,Updated: 01 Dec, 2025 07:24 AM

Mokshada Ekadashi Vrat Katha 2025: मोक्षदा एकादशी, जिसे पापों की विनाशक और मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी माना गया है, इस वर्ष 1 दिसंबर 2025, सोमवार को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म के अनुसार, इस एकादशी का व्रत करने से ही नहीं, बल्कि इसकी कथा पढ़ने और...
Mokshada Ekadashi Vrat Katha 2025: मोक्षदा एकादशी, जिसे पापों की विनाशक और मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी माना गया है, इस वर्ष 1 दिसंबर 2025, सोमवार को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म के अनुसार, इस एकादशी का व्रत करने से ही नहीं, बल्कि इसकी कथा पढ़ने और सुनाने भर से भी अत्यंत पुण्य प्राप्त होता है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से नरक में दुख झेल रहे पूर्वजों को भी मुक्ति मिल जाती है।

Significance of Mokshada Ekadashi मोक्षदा एकादशी का महत्व
शास्त्रों में कहा गया है कि मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी स्वयं श्रीहरि विष्णु को अत्यंत प्रिय है। यह एकादशी विशेष रूप से पितृ मोक्ष दायिनी है। व्रत करने वाला व्यक्ति जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्त होकर आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करता है। कथा सुनना, हरि नाम संकीर्तन करना और दान देना अत्यंत शुभ माना गया है।
Mokshada Ekadashi fasting story मोक्षदा एकादशी व्रत कथा
प्राचीन काल में गोकुलपुरी में वैखानस नामक एक धर्मपरायण राजा राज्य करते थे। राजा अपने प्रजा के कल्याण में ही लगे रहते थे पर एक रात उन्हें एक अत्यंत भयावह सपना आया। उन्होंने देखा कि उनके पिता भयंकर नरक यंत्रणाएं सह रहे हैं और दुख से तड़प रहे हैं।
सपना इतना वास्तविक लगा कि राजा चिंता और व्याकुलता में भर गए। सुबह होते ही उन्होंने अपने राज्य के विद्वान ब्राह्मणों को बुलाया और पूछा, “मेरे पिता ऐसी दशा में क्यों हैं और उनकी मुक्ति कैसे संभव है?”
विद्वानों ने कहा कि इस प्रश्न का उत्तर केवल भूत-भविष्य के ज्ञाता, पर्वत महर्षि ही दे सकते हैं। राजा तुरंत पर्वत महात्मा के आश्रम पहुंच गए और विनम्रतापूर्वक पिता की स्थिति बताते हुए मार्गदर्शन की प्रार्थना की।
महर्षि ने ध्यान लगाकर कहा, “राजन! आपके पिता ने अपने पूर्व जन्मों में एक गंभीर पाप किया था, उसी का प्रायश्चित वे नरक में कर रहे हैं।”
राजा दुखी होकर बोले, “गुरुदेव, कृपा कर बताइए मैं उन्हें मुक्ति कैसे दिला सकता हूं?”
तब महर्षि ने कहा, “मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की जो एकादशी आती है, उसे मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। आप इस एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करें, भगवान विष्णु का स्मरण करें। इस व्रत के प्रभाव से आपके पिता को नरक से मुक्ति मिल जाएगी।”
राजा वैखानस ने पूरे विधि-विधान से व्रत किया। उनकी तपस्या, भक्ति और एकादशी के पुण्य से उनके पिता नरक से मुक्त हुए और दिव्य रूप धारण कर स्वर्गलोक की ओर प्रस्थान करते हुए बोले, “पुत्र! तुम्हारा कल्याण हो। तुम्हारी भक्ति ने मुझे मोक्ष दिलाया है।”

मोक्षदा एकादशी के लाभ
पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है
पापों का क्षय
मन की शांति
परिवार में सुख-समृद्धि
विष्णु कृपा प्राप्ति
