Edited By Prachi Sharma,Updated: 02 Oct, 2025 08:27 AM

Hazaribagh Budhiya Mata Mandir: झारखंड के हजारीबाग ज़िले में, इचाक प्रखंड के बनस टांड़ में स्थित बुढ़िया माता मंदिर भक्तों के लिए एक विशेष तीर्थ स्थान है। यह मंदिर इस बात का प्रमाण है कि आस्था के लिए मूर्ति की नहीं, बल्कि शुद्ध भावना की ज़रूरत होती...
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Hazaribagh Budhiya Mata Mandir: झारखंड के हजारीबाग ज़िले में, इचाक प्रखंड के बनस टांड़ में स्थित बुढ़िया माता मंदिर भक्तों के लिए एक विशेष तीर्थ स्थान है। यह मंदिर इस बात का प्रमाण है कि आस्था के लिए मूर्ति की नहीं, बल्कि शुद्ध भावना की ज़रूरत होती है, क्योंकि यहाँ न कोई प्रतिमा है और न ही कोई पिंडी। भक्तगण पिछले 300 वर्षों से सीधे दीवार की पूजा करके माँ के निराकार स्वरूप की आराधना करते हैं।
सिंदूर रस्म और मनोकामना पूर्ति
यह मंदिर भक्तों के बीच मनोकामना पूर्ण करने के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के श्रद्धालु मानते हैं कि जो भी सच्चे मन से प्रार्थना करता है, माता उसकी झोली खुशियों से भर देती हैं। साल भर भक्तों की भीड़ रहती है, लेकिन नवरात्र के दौरान उत्साह और बढ़ जाता है। इस दौरान एक विशेष परंपरा निभाई जाती है: सप्तमी तिथि पर भक्त दीवार पर बनी एक विशेष आकृति पर सिंदूर चढ़ाते हैं। इसके अलावा, कोई भी शुभ कार्य शुरू करने से पहले माता का आशीर्वाद लेना यहाँ की एक अनिवार्य रस्म है।

पौराणिक कथा
मंदिर की उत्पत्ति एक चमत्कारिक कथा से जुड़ी है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, 1668 में जब इचाक क्षेत्र में हैजा महामारी फैली थी, तब बाज़ार में एक वृद्धा प्रकट हुईं। उन्होंने ग्रामीणों को मिट्टी दी और उसे गाँव से दूर रखने का निर्देश दिया। वृद्धा के अचानक गायब होते ही महामारी समाप्त हो गई। वही मिट्टी तब से दिव्य शक्ति मानकर पूजी जाती रही है, जो आज भी बुढ़िया माता के रूप में पूजित हैं। बुढ़िया माता मंदिर की यह अनुपम महिमा ही है कि दूर-दराज से लोग यहां अपनी श्रद्धा व्यक्त करने और माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पहुंचते हैं।
