Himachal Pradesh: माता भरमाणी और वीरभद्र देवता का कोप, धार्मिक अपमान बना आपदा का कारण ?

Edited By Updated: 31 Aug, 2025 08:58 AM

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भरमौर (उत्तम ठाकुर): भरमौर के देवी-देवताओं ने इस साल मणिमहेश यात्रा शुरू होने से पहले ही अपने गुरों के माध्यम से 30 साल पहले 1995 में आई आपदा के इस साल पुनः घटित होने की चेतावनी दी थी लेकिन स्थानीय समाज ने शायद इस चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया।

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भरमौर (उत्तम ठाकुर): भरमौर के देवी-देवताओं ने इस साल मणिमहेश यात्रा शुरू होने से पहले ही अपने गुरों के माध्यम से 30 साल पहले 1995 में आई आपदा के इस साल पुनः घटित होने की चेतावनी दी थी लेकिन स्थानीय समाज ने शायद इस चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया। यह दावा है क्षेत्र की आराध्य भरमाणी माता के गुर दिलो राम का। उनका कहना था कि मणिमहेश ट्रस्ट द्वारा भरमाणी माता के परिसर की नीलामी करने से माता काफी नाराज हैं। गुर कहते हैं कि मंदिर के ऊपर होली से संचालित हैलीकॉप्टर की उड़ानों पर भी माता ने नाराजगी जताई। इन्हें रोकने के आग्रह के बावजूद कोई नहीं माना।

देवता वीरभद्र व माता चामुंडा भी क्रुद्ध
वीरभद्र देवता के पुजारी निरंकारी का कहना है कि वीरभद्र देवता का मंदिर धनछो से ऊपर स्थित है। इन्हें भगवान भोलेशंकर के प्रहरी का दर्जा प्राप्त है। उनके क्षेत्र के ऊपर से भी मनाही के बावजूद हवाई उड़ानें जारी रहीं। प्रशासन मौन रहा। उनका दावा है कि साल 1995 में भी वीरभद्र देवता की नाराजगी से लोगों ने भयंकर तबाही देखी थी। चौरासी मंदिरों के ऊपर से उड़ानें होने पर माता चामुंडा ने भी नाराजगी जताई थी।

3 दशक बाद आपदा का वही मंजर, तब आई थी जलप्रलय
भरमौर में 3 दशकों के बाद मणिमहेश यात्रा के दौरान जलप्रलय हुई है। साल व 1995 में राधाष्टमी का स्नान सम्पन्न होने के बाद पांच दिन भयंकर बरसात हुई  थी। तब कुछ लंगर संचालक, स्थानीय दुकानदार तथा बहुत कम यात्री भरमौर और डल झील के बीच फंसे थे। 5 सितम्बर 1995 को लैंडस्लाइड से चम्बा-भरमौर सड़क का नामोनिशान मिट गया था। यह मार्ग 23वें दिन छोटी गाड़ियों के लिए व करीब डेढ़ महीने बाद बड़े वाहनों के लिए खुल पाया था। उस समय पहली बार रावी नदी का पानी चम्बा के शीतला पुल को छू गया था।

धार्मिक मान्यताओं से छेड़छाड़ का परिणाम ठीक नहीं
भरमौर के बुजुर्ग जय कृष्ण शर्मा, आत्मा दत्त शर्मा, चैन सिंह व सुरजन राम का कहना है कि यहां की धार्मिक मान्यताओं के साथ छेड़छाड़ से ही सम्भवतः ऐसी आपदा जन्म लेती हैं। उनका दावा है कि किसी देवता की नाराजगी इन आपदाओं के पीछे प्रमुख कारण होती है। मणिमहेश यात्रा का व्यापारीकरण व कथित तौर पर अंदरोल यानी देवताओं के एकांत क्षेत्रों को पिकनिक स्पॉट बनाना ऐसी आपदाओं की अहम वजह हो सकते हैं। 

अनैतिक कार्यों से  ही आती है तबाही
बुजुर्गों का दावा है कि वर्ष 1995 में गौरीकुंड में नहाती हुई महिला यात्रियों की वीडियोग्राफी, हड़सर में यात्रियों से अंधाधुंध वसूली व लूटपाट प्राकृतिक आपदा का कारण बनी थीं। शायद इस साल यात्रा में कोई अनैतिक काम हुआ हो, अन्यथा ऐसी स्थिति कभी  नहीं आती। बाहर से आए लोग कमल कुंड जैसे क्षेत्रों में धार्मिक मान्यताओं से छेड़छाड़ न करें तथा श्रद्धाभाव से यात्रा करें तो सम्भवतः ऐसी तबाही की स्थिति फिर कभी नहीं आएगी।

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