Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 May, 2023 08:50 AM
राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के पास हर तरह की सुख-सुविधाएं थीं। जो भी उनसे मिलने जाता, वह उनसे खुशी-खुशी मिलते थे। हालांकि एक बात
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Inspirational Story: राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के पास हर तरह की सुख-सुविधाएं थीं। जो भी उनसे मिलने जाता, वह उनसे खुशी-खुशी मिलते थे। हालांकि एक बात से वह दुखी रहते थे कि उनकी पत्नी का स्वभाव थोड़ा तीखा था। वह दूसरों से तो उलझती ही थीं, उनसे भी हर बात में तर्क-वितर्क करती रहती थीं।
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एक बार उनकी पत्नी का घरेलू नौकर के चाचा से झगड़ा हो गया। नौकर के चाचा ने राष्ट्रपति से शिकायत की कि आपकी पत्नी ने मुझसे झगड़ कर मेरा अपमान किया है। मैं इसे सहन नहीं कर पा रहा हूं।
राष्ट्रपति मुस्कुराए और शांति से बोले, ‘‘मेरे भाई, मैं पंद्रह साल से इसी स्थिति से गुजर रहा हूं। अगर मैं इस स्थिति को इतने सालों तक सहता आया हूं, तो क्या तुम एक बार भी सहन नहीं कर सकते? जरा विचार करो कि देश के प्रमुख को हर एक से मान मिले, पर पत्नी ही उसके प्रति उदासीन हो तो कैसे लगता होगा?
नौकर के चाचा को राष्ट्रपति लिंकन की बात समझ में आ गई और उसका उतरा हुआ चेहरा खिल उठा। रोज की तरह वह काम में लग गया। लिंकन का मानना था कि सत्कर्म के लिए आत्मनियंत्रण और सहनशीलता बेहद जरूरी है। सहनशील व्यक्ति अपने आस-पास के वातावरण में शांति और सौहार्द कायम रखता है। यह हमारे जीवन के सकारात्मक पहलुओं को उजागर करता है। सहनशील लोग हर स्वभाव के लोगों के साथ तालमेल रखते हैं। लिंकन कहते थे, जब मैं कुछ अच्छा करता हूं तो अच्छा अनुभव करता हूं और जब बुरा करता हूं तो बुरा अनुभव करता हूं, यही मेरा मजहब है।