Edited By Niyati Bhandari,Updated: 20 Aug, 2023 08:44 AM
महात्मा बुद्ध को एक सभा में भाषण करना था। जब समय हो गया तो महात्म बुद्ध आए और बिना कुछ बोले ही वहां से चले गए। तकरीबन 150 श्रोता थे। दूसरे दिन
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Inspirational Story: महात्मा बुद्ध को एक सभा में भाषण करना था। जब समय हो गया तो महात्म बुद्ध आए और बिना कुछ बोले ही वहां से चले गए। तकरीबन 150 श्रोता थे। दूसरे दिन लगभग 100 लोग थे पर फिर उन्होंने ऐसा ही किया बिना बोले चले गए। इस बार पचास कम हो गए।
तीसरे दिन 60 के करीब लोग थे। महात्मा बुद्ध आए, इधर-उधर देखा और बिना कुछ कहे वापस चले गए। चौथा दिन आया तो कुछ लोग और कम हो गए महात्मा बुद्ध तब भी नहीं बोले। जब पांचवां दिन आया तो देखा सिर्फ 14 लोग थे। महात्मा बुद्ध उस दिन बोले और चौदह लोग उनके साथ हो गए।
किसी ने महात्मा बुद्ध से पूछा, “आपने चार दिन कुछ नहीं बोला। इसका क्या कारण था?
तब बुद्ध ने कहा, “मुझे भीड़ नहीं काम करने वाले चाहिए थे। यहां वही टिक सकेगा, जिसमें धैर्य हो। जिनमें धैर्य था वे रह गए। केवल भीड़ ज्यादा होने से कोई धर्म नहीं फैलता। समझने वाले चाहिए, तमाशा देखने वाले रोज इधर-उधर ताक-झांक करते हैं। समझने वाला धीरज रखता है। कई लोगों को दुनिया का तमाशा अच्छा लगता है। समझने वाला शायद एक हजार में एक ही हो ऐसा ही देखा जाता है।