Edited By Prachi Sharma,Updated: 16 Jul, 2025 07:00 AM

Inspirational Context: किसी सेठ के घर एक संत भिक्षा मांगने पहुंचे। सेठ भी धार्मिक स्वभाव का था। उसने एक कटोरी चावल संत को भिक्षा में दिए। सेठ ने संत से कहा गुरुजी, मैं आपसे एक प्रश्न पूछना चाहता हूं। संत ने कहा-ठीक है पूछो, क्या पूछना चाहते हो ?
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Inspirational Context: किसी सेठ के घर एक संत भिक्षा मांगने पहुंचे। सेठ भी धार्मिक स्वभाव का था। उसने एक कटोरी चावल संत को भिक्षा में दिए। सेठ ने संत से कहा गुरुजी, मैं आपसे एक प्रश्न पूछना चाहता हूं। संत ने कहा-ठीक है पूछो, क्या पूछना चाहते हो ?
सेठ ने कहा-मैं यह जानना चाहता हूं कि लोग लड़ाई-झगड़ा क्यों करते हैं ?

संत ने कहा मैं यहां भिक्षा लेने आया हूं, तुम्हारे मूर्खतापूर्ण सवालों के जवाब देने नहीं। ऐसा जवाब सुनते ही सेठ को गुस्सा आ गया। वह सोचने लगा कि यह कैसा संत है? मैंने इसे दान दिया और यह मुझे ही गलत जवाब दे रहा है। सेठ ने गुस्से में संत को खूब खरी-खोटी सुना दी।
कुछ देर बाद सेठ शांत हो गया, तब संत ने कहा कि जैसे ही मैंने गलत तरीके से जवाब दिया, तुम्हें गुस्सा आ गया। गुस्से में तुम मुझ पर चिल्लाने लगे, इस स्थिति में मैं भी तुम पर गुस्सा हो जाता तो हमारे बीच झगड़ा हो जाता। क्रोध ही हर झगड़े की जड़ है। अगर हम क्रोध नहीं करेंगे तो कभी वाद-विवाद होगा ही नहीं। क्रोध को काबू करने की कोशिश करनी चाहिए, तभी जीवन में सुख-शान्ति बनी रहती है।

इस प्रसंग का सार है कि हमें हर परिस्थिति का सामना शांति से ही करना चाहिए। अगर हम क्रोध को काबू कर लेंगे तो भविष्य में होने वाली कई परेशानियों से बच सकते हैं। घर-परिवार में क्रोध की वजह से रिश्तों में दरार आ जाती है। अत: क्रोध से बचना चाहिए।
