Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Oct, 2025 07:19 AM

Karva Chauth thali song 2025: भारत में करवा चौथ केवल एक व्रत नहीं, बल्कि स्त्री की श्रद्धा, प्रेम और अटूट विश्वास का उत्सव है। इस व्रत में महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं और पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं। इस पवित्र व्रत का सबसे...
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Karva Chauth thali song 2025: भारत में करवा चौथ केवल एक व्रत नहीं, बल्कि स्त्री की श्रद्धा, प्रेम और अटूट विश्वास का उत्सव है। इस व्रत में महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं और पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं। इस पवित्र व्रत का सबसे सुंदर और भावनात्मक क्षण होता है। जब महिलाएं पूजा की थाली बांटते हुए गीत गाती हैं। करवा चौथ का व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह नारी शक्ति, प्रेम और आस्था का उत्सव है। थाली बांटते हुए गाया गया गीत स्त्री-हृदय की भावनाओं का प्रतीक है। जहां हर शब्द में प्रेम, आशीर्वाद और सौभाग्य की कामना छिपी होती है।
Spiritual Significance in Shastra शास्त्रीय दृष्टि से महत्व
हिन्दू शास्त्रों में ध्वनि और मंत्र शक्ति को अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। भक्तिपूर्ण गीत गाते हुए थाली बांटने से नारी की ऊर्जा और आशीर्वाद शक्ति बढ़ती है। यह क्रिया गृहस्थ जीवन में सौहार्द, दीर्घायु और सौभाग्य लाने वाली मानी जाती है।

The Ritual of Thali Bontna करवा चौथ की थाली बांटने की परंपरा
हिन्दू लोक परंपरा के अनुसार, करवा चौथ की पूजा के बाद महिलाएँ गोल घेरा बनाकर बैठती हैं।
वे सिंदूर, करवा, दीपक, मिठाई और चंद्रमा की पूजा थाली लेकर एक-दूसरे को थाली बंटती (घुमाती) हैं।
इस दौरान महिलाएँ पारंपरिक करवा चौथ गीत गाती हैं, जो सौभाग्य, प्रेम और आशीर्वाद का प्रतीक है।

Traditional Song while Distributing Thali करवा चौथ की थाली बंटाते हुए बोला जाने वाला गीत
वीरा कुड़िए करवड़ा, सर्व सुहागन करवड़ा,
ए कटी न अटेरीं न, खुंब चरखड़ा फेरीं ना,
ग्वांड पैर पाईं ना, सुई च धागा फेरीं ना,
रुठड़ा मनाईं ना, सुतड़ा जगाईं ना,
बहन प्यारी वीरां, चंद चढ़े ते पानी पीना,
लै वीरां कुड़िए करवड़ा, लै सर्व सुहागिन करवड़ा।
व्रत कथा और लोक परंपरा में यह गीत सबसे प्रसिद्ध है —
ये सुहागन जोड़ी रहे, सदा बनी रहे,
करवा चौथ का व्रत हम निभाएंगे,
सासु मां का आशीर्वाद पाएंगे,
चांद देवता से वर मांगेंगे,
पति की लंबी आयु पाएंगे।
इसके साथ ही कई क्षेत्रों में यह पारंपरिक लोकगीत भी गाया जाता है —
करवा मां कर दे कल्याण,
सुहागन रहे हर नारी,
सदा चमके सिन्दूर की लाली।
या फिर —
नीलकंठ का पानी पी,
चांद को देखी प्यारी जी,
सजनी करवा चौथ मनाए,
पति की उम्र बढ़ाए जी।
ये गीत शुभता और सौभाग्य की प्रतीक ध्वनि हैं, जिनके उच्चारण से वातावरण पवित्र बनता है और सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।