करवाचौथ के साथ पड़ रही है इस माह की गणेश चतुर्थी, ऐसे कर सकते हैं बप्पा को खुश

Edited By Jyoti,Updated: 15 Oct, 2019 03:40 PM

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वैसे तो करवाचौथ का दिन अपने आप में बहुत खास माना जाता है परंतु इस बार इस विशेष दिन गणेश चतर्थी भी पड़ रही है। जिसके चलते इस बार का करवाचौथ का दिन और भी खास हो गया है।

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वैसे तो करवाचौथ का दिन अपने आप में बहुत खास माना जाता है परंतु इस बार इस विशेष दिन गणेश चतर्थी भी पड़ रही है। जिसके चलते इस बार का करवाचौथ का दिन और भी खास हो गया है। बता दें हिंदू धर्म में करवाचौथ का व्रत पति की लंबी आयु के लिए सुहागिन महिलाओं द्वारा किया जाता है। इसके अलावा महिलाएं माता करवा की विधिवत पूजन करते हैं।  ज्योतिष के अनुसार ये सब करने से माता से सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है। मगर आपको बता दें इस बार के इस दिन आप सुहाग की लंबी आयु के साथ अपनी अन्य कई परेशानियों से भी छुटकारा पा सकते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि कैसे तो जैसे कि हमने ऊपर आपको जानकारी दी है कि क्योंकि इस दिन गणेश चतुर्थी का पर्व भी पड़ रहा है तो गणेश जी की पूजा कई तरह के लाभ प्रदान करवा सकती है।
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तो आइए जानते हैं गणेश जी पूजा से जुड़ी खास बातें-
देवताओं को प्रसन्न करने के लिए मुख से प्रसाद सेवन करना चाहिए। जीभ से प्रभु का भजन करना चाहिए। कानों से हरि कथा सुननी चाहिए। नाक से प्रभु को अॢपत किए जा चुके फूलों को सूंघना चाहिए। हाथ से दान देना चाहिए। नेत्रों से देव मंदिर में प्रभु के दर्शन करने चाहिएं। पैरों से तीर्थ यात्रा करनी चाहिए। बुद्धि से प्रभु स्मरण करना चाहिए।

गणेश जी की पूजा
कोई भी कार्य शुरू करना हो तो सर्वप्रथम गणेश जी की आराधना की जाती है ताकि हमारे सभी कार्य निर्विघ्न रूप से पूर्ण हो जाएं। किसी भी देव की पूजा करनी हो, हवन करना हो, मंत्र जाप करना हो, कोई भी नया कार्य शुरू करना हो तो सर्वप्रथम गणेश जी को ही मनाया जाता है क्योंकि वही विघ्नहर्ता हैं।

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ:।
निर्वघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा।।
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गणेश जी का पूजन करने के लिए गणेश जी को नमस्कार करें, आह्वान करें, आसन अर्पण करें, पाद्य अर्पित करें, अर्घ्य अर्पित करें, आचमन के लिए जल अर्पित करें, स्नान के लिए जल अर्पित करें, पंचामृत, शुद्ध जल, वस्त्र, यज्ञोपवीत, गंध-पुष्प-धूप-दीप, नैवेद्य अर्पित करें, ताम्बूल अर्पित करें, दक्षिणा चढ़ाएं, आरती करें और नमस्कार करें। गणेश जी के विभिन्न रूपों की उपासना करने से जो फल प्राप्त होते हैं वे इस प्रकार हैं:
 

1. संतान गणपति-संतान प्राप्ति के लिए।

2. विघ्नहर्ता गणपति-कलह एवं सर्वविघ्नों का नाश करने के लिए।

3. विद्या प्रदायक गणपति-ज्ञान और विद्या की प्राप्ति के लिए।

4. विवाह विनायक गणपति-विवाह के लिए।

5. धनदायक गणपति-धन प्राप्ति के लिए।

6. चिंता नाशक गणपति-चिंताओं की समाप्ति के लिए।
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7. सिद्धिदायक गणपति-सिद्धि प्राप्ति के लिए।

8. आनंद दायक गणपति-आनंद और प्रसन्नता के लिए।

9. विजयसिद्ध गणपति-कोर्ट-कचहरी से छुटकारा एवं विजय प्राप्ति के लिए।

10. ऋणमोचन गणपति-ऋण मुक्ति के लिए।

11. रोग नाशक गणपति-रोगों से मुक्ति के लिए।

12. नेतृत्व शक्ति विकास गणपति-नेतृत्व शक्ति पाने के लिए।
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गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए आप प्रतिदिन गणेश चालीसा, गणेश स्तोत्र व गणेश आरती कर सकते हैं। इसके अलावा गणेश जी को 12 नामों से स्मरण किया जाता है।
प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्।
तृतीयं कृष्णङ्क्षपगाक्ष्यं च गजवक्त्रां चतुर्थकम्।।
लम्बोदरं पन्चमं च षष्ठं विकटमेव च।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं च धूम्रवर्ण तथाष्टकम।।
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम्।
एकादशं गणपति द्वादशं तु गजाननम्।।
द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्घ्यं य: पठेन्नर:।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो।।

पहला वक्रतुण्ड, दूसरा एकदन्त, तीसरा कृष्णपिङक्षं, चौथा गजवक्त्र, पांचवां लम्बोदर, छठा विकट, सातवां विघ्नराजेंद्र, आठवां धूम्रवर्ण, नौवां भालचंद्र, दसवां विनायक, ग्यारहवां गणपति और बारहवां गजानन। इन बारह नामों का जो पाठ करता है उसे किसी प्रकार के विघ्न का भय नहीं रहता है और सब प्रकार की सिद्धियों को देने वाला है।

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