Edited By Lata,Updated: 12 Jan, 2020 09:53 AM
हिंदू धर्म में माघ के महीने का बहुत अधिक महत्व होता है। कहते हैं कि इस दौरान आने वाले हर व्रत और त्योहार
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हिंदू धर्म में माघ के महीने का बहुत अधिक महत्व होता है। कहते हैं कि इस दौरान आने वाले हर व्रत और त्योहार बहुत मायने रखते हैं। वहीं मकर संक्रांति का दिन बहुत खास होता है। इस पावन दिन पर लोग किसी पवित्र नदी में जाकर जरूर स्नान करते हैं। वैसे तो माघ का महीना शुरू हो चुका है और इस पूरे महीने में गंगा स्नान का महत्व बताया गया है, लेकिन जो लोग पूरे माघ माह स्नान नहीं कर पाते वे केवल मकर संक्रांति के दिन ही स्नान कर लें तो भी उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है।
मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है। इस दिन पूरे आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें दिखाई देती हैं। कई जगहों पर तो पतंग उड़ाने की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं। लेकिन क्या कोई ये जानता है कि इस दिन पतंग क्यों उड़ाई जाती है और ये परंपरा कैसे व कब शुरू हुई? अगर आप नहीं जानते इसके पीछे का रहस्य तो चलिए, आज हम आपके इसी के बूारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
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मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाकर यह त्योहार मनाने का प्रचलन काफी प्रचलित है। पतंग उड़ाने का रिवाज मकर संक्रांति के साथ जुड़ा हुआ है। मकर संक्रांति के दिन अक्सर लोग अपने घरों की छतों से पतंग उड़ाकर इस त्योहार का जश्न मनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सूर्य से मिलने वाली धूप का उनके शरीर को फायदा मिलता है। कहा जाता है कि सर्दियों में हमारा शरीर खांसी, जुकाम और अन्य कई संक्रमण से प्रभावित होता है मकर संक्रांति के दिन सूर्य उतारायण में होता है। सूर्य के उतरायण में जाने के समय उससे निकलने वाली सूर्य की किरणें मानव शरीर के लिए औषधि का काम करती हैं। इसलिए पतंग उड़ाने के शरीर को लगातार शरीर को सूर्य से सेंक मिलता है और उससे हमारा शरीर स्वस्थ रहता है।
एक अन्य मान्यता के अनुसार, त्रेतायुग में भगवान श्री राम ने मकर संक्रांति के दिन ही अपने भाइयों और श्री हनुमान के साथ पतंग उड़ाई थी, इसलिए तब से यह परंपरा पूरी दुनिया में प्रचलित हो गई। मकर संक्रांति के दिन पुण्य, दान, जप तथा धार्मिक अनुष्ठानों का महत्व माना जाता है। इस दिन भगवान को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। कई स्थानों पर इस दिन मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए खिचड़ी दान करने की परंपरा भी माना जाती है।
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