Edited By Jyoti,Updated: 25 Nov, 2021 11:38 AM
एक देश में भयंकर अकाल पड़ गया। पशु-पक्षी ही क्या, मनुष्य तक भूखे मरने लगे। एक स्थान पर पक्षियों का एक दल रहता था। जब मरने की नौबत आ गई तो पक्षियों के दल का नायक सबसे बोला
Motivational Concept: बुरा होता है लोभ करने वाले का अंत
एक देश में भयंकर अकाल पड़ गया। पशु-पक्षी ही क्या, मनुष्य तक भूखे मरने लगे। एक स्थान पर पक्षियों का एक दल रहता था। जब मरने की नौबत आ गई तो पक्षियों के दल का नायक सबसे बोला, ‘‘चलो यहां से उड़कर किसी पहाड़ पर चलें, पहाड़ पर तो कुछ न कुछ खाने को मिल ही जाएगा।’’
यह सुनकर पक्षियों के दल ने विचार किया और वह पहाड़ की ओर उड़ चला। पहाड़ पर कुछ घास तो मिली, परन्तु अन्न का दाना नहीं मिला। यह देखकर सभी पक्षी निराश हो गए।
पक्षियों के इसी दल में एक लोभी पक्षी भी रहता था। एक रात उसने सोचा कि हमें पहाड़ के नीचे भी चलकर देखना चाहिए। शायद कहीं खाने को मिल जाए। ऐसा विचार कर वह पहाड़ के नीचे पहुंचा। सूर्योदय होने पर अन्न को खोजने लगा। सहसा उसकी नजर शहर की ओर जाने वाले मार्ग पर पड़ी। वह यह देखकर प्रसन्न हो उठा कि वहां से कुछ बैलगाड़ियां आ रही हैं, जिन पर अनाज की बोरियां लदी हुई हैं।
पक्षी ने चोंच से बोरियों में छेद कर दिए। अनाज के बहुत से दाने मार्ग में गिर गए। पक्षी ने पेट भर दाने खाए और पुन: अपने दल में जा मिला। उसको आया जानकर दल के अन्य पक्षियों ने पूछा, ‘‘कहीं खाने के लिए अनाज दिखाई पड़ा? लोभी पक्षी ने कहा कि अनाज तो दिखाई पड़ा था लेकिन खाने को नहीं मिला। अनाज के पास कई शिकारी खड़े थे।’’
दूसरे दिन भी उसने यही किया। उसी समय पीछे से दूसरी बैलगाड़ी आ गई और वह बैलों के पैरों तले कुचल कर मर गया। पक्षियों का दल उसको खोजने निकला तो देखा कि पक्षी मरा पड़ा था। पक्षीराज को समझते देर नहीं लगी कि इसे अनाज का पता था, मगर यह अपने साथियों के साथ विश्वासघात करना चाहता था। अति लोभ के कारण ही वह असमय मारा गया।