Edited By Jyoti,Updated: 02 Apr, 2022 12:03 PM
एक संत अपने एक किसान भक्त की प्रार्थना स्वीकार करके उसके गांव पहुंचे। किसान ने उनके लिए एक प्रवचन का आयोजन किया था। अचानक किसान का बैल बीमार हो गया। किसान जानता था
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एक संत अपने एक किसान भक्त की प्रार्थना स्वीकार करके उसके गांव पहुंचे। किसान ने उनके लिए एक प्रवचन का आयोजन किया था। अचानक किसान का बैल बीमार हो गया। किसान जानता था कि यदि बैल को समय पर उपचार न मिला तो वह मर जाएगा, इसलिए वह प्रवचन में न जाकर बैल को चिकित्सक को दिखाने ले गया। गांव के कुछ लोगों ने संत से उसकी शिकायत की और बोले, ‘‘महाराज! यह किसान कितना स्वार्थी है। आपके प्रवचन का आयोजन करके खुद ही यहां नहीं आया है।’’
संत बोले, ‘‘किसान ने प्रवचन में न आकर और एक पीड़ित पशु की सेवा को महत्व देकर यह सिद्ध कर दिया कि वह मेरी शिक्षाएं ठीक प्रकार से समझ गया है। मेरे सारे प्रवचनों का सार यही है कि दुखी-पीड़ितों की सहायता अवश्य की जाए और विवेक का आश्रय लेकर यह समझा जाए कि किन परिस्थितियों में कौन सा कार्य जरूरी है। यदि आज किसान बीमार बैल को छोड़कर प्रवचन में आ जाता और वह बैल बिना दवा के मर जाता तो मेरा प्रवचन देना व्यर्थ हो जाता।’’
संत का कहा सुनकर सबकी आंखें खुल गईं।