Edited By Jyoti,Updated: 12 May, 2022 11:10 AM
एक राजकुमार था। वह बड़ा घमंडी और उद्दंड था। उसके मुंह से सदा कठोर वचन निकलते थे। राज्य के लोग उसके इस बुरे व्यवहार से बहुत तंग और हैरान थे। राजा उसे बहुत समझाते थे, लेकिन उस पर कोई असर नहीं होता था।
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एक राजकुमार था। वह बड़ा घमंडी और उद्दंड था। उसके मुंह से सदा कठोर वचन निकलते थे। राज्य के लोग उसके इस बुरे व्यवहार से बहुत तंग और हैरान थे। राजा उसे बहुत समझाते थे, लेकिन उस पर कोई असर नहीं होता था। विवश होकर राजा महात्मा बुद्ध के पास गए और उन्हें अपना दुख कह सुनाया। महात्मा बुद्ध ने उन्हें सांत्वना देकर कहा, ‘‘घबराओ नहीं। सब ठीक हो जाएगा।’’
‘‘कैसे ठीक हो जाएगा, कृपया मुझे भी बताएं’’
राजा ने पूछा। ‘‘यह सब तुम मेरे ऊपर छोड़ दो। बस, उसे किसी दिन मेरे पास भेज देना’’, महात्मा बुद्ध बोले।
एक दिन राजकुमार महात्मा बुद्ध से मिलने आया। महात्मा बुद्ध ने उससे कहा, ‘‘सामने के पौधे से कुछ पत्तियां तोड़ लाओ।’’
राजकुमार पत्तियां तोड़ लाया। महात्मा बुद्ध बोले, ‘‘इन्हें खा लो।’’
राजकुमार ने ज्यों ही पत्तियां मुंह में डालीं, कड़वाहट के कारण थूक डालीं। इतना ही नहीं वह दौड़ कर गया और उसने उस पौधे को भी उखाड़ कर फैंक दिया। महात्मा बुद्ध ने पूछा, ‘‘क्यों क्या हुआ?’’
राजकुमार ने कहा, ‘‘इस पौधे की पत्तियां कड़वी हैं। आगे चल कर यह पौधा विष-वृक्ष बन जाएगा। इसीलिए मैंने इसे उखाड़ दिया।’’
महात्मा बुद्ध ने मुस्कुरा कर कहा, ‘‘राजकुमार, तुम लोगों से कड़वी बातें कहते हो। अगर वे भी तुम्हारे दुर्व्यवहार से दुखी होकर वही करें, जो तुमने इस पौधे के साथ किया है, तो क्या नतीजा निकलेगा?’’
राजकुमार को अपनी भूल का अनुभव हुआ और उस दिन से उसने अपना व्यवहार बदल लिया।